नई दिल्ली। बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा नूतन की 81वीं जयंती पर उनके प्रशंसकों के साथ ही नूतन को उनके भावपूर्ण अभिनय ने बॉलीवुड में एक अलग मुकाम दिलाया।बंदिनी’, ‘सुजाता’, ‘सीमा’, ‘तेरे घर के सामने’, ‘मिलन’, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ जैसी दर्जनों हिट फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय से नूतन ने साबित किया कि वह हर तरह की फिल्मों और भूमिकाओं के लिये निर्देशकों की पहली पसंद क्यों थीं। गूगल ने भी डूडल के जरिये इस अभिनेत्री के चेहरों के विभिन्न भावों से गूगल के दो ‘ओ’ बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता। महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खुशकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहन...
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