गुजरात में इतिहास को बदलने की प्रक्रिया नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बहुत पहले ही शुरू हो गई थी। 1995 में केशुभाई पटेल राज्य के मुख्यमंत्री थे।
राजस्थान की वसुंधरा सरकार पर इतिहास में बदलाव करने का आरोप लगा है। नए इतिहास में मुगलों को हत्यारों के रूप में दिखाया जा रहा है वहीं हिंदू राजाओं को विजेताओं की तरह प्रदर्शित किया जा रहा है। इसके साथ ही इन सरकारों पर यह भी आरोप है कि इनके द्वारा भारतीय राजनीति के इतिहास के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
महाराणा बनाम अकबर
18 जून 1576 को हुए हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर ने अपनी विशाल सेना के साथ मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप को हरा दिया था। इतिहास के अनुसार महाराणा प्रताप युद्ध भूमि छोड़ कर चले गए थे। हालांकि बाद में उन्होंने अपनी यह जंग जारी रखी।
राजस्थान विश्वविद्यालय ने यह तय किया है कि अब इतिहास की नई किताब कोर्स में शामिल की जायेगी जिसमें नया इतिहास पढ़ाया जाएगा। इस नए इतिहास के मुताबिक 450 साल पहले महाराणा प्रताप ने अकबर को हराया था। इससे पहले भाजपा सरकार ने नवीं और दसवीं की किताबें बदली थीं। केएस गुप्ता एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं और उन्होंने एक किताब लिखी है 'महाराणा प्रताप: कुंबलगढ़ से चावंड'। इसी किताब से प्रेरित होकर इन किताबों को बदला गया है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी इस बदलाव को सही मानते हुए कहते हैं कि छात्र 'परिवर्धित इतिहास' नहीं पढेंगे।
गांधी और नेहरू को मिटा दिया गया
भारत की आजादी में जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी के योगदान के बारे में हर कोई जानता है लेकिन राजस्थान सरकार इस बात को नहीं मानती। राजस्थान की आठवीं क्लास की इतिहास की किताब में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम तक नहीं है। न ही यह बात लिखी है कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। वहीं क्लास 10 और 12 की किताबों में महात्मा गांधी का नाम तो है लेकिन जवाहरलाल नेहरू नदारद हैं। इसकी जगह इन किताबों में वीर सावरकर की बात की गई है। उनको आजादी के रखवाले के रूप में दिखाया गया है।
वहीं क्लास 11 की किताब में कांग्रेस को एक ऐसे बच्चे के रूप में बताया गया है जिसे ब्रिटिश हुकूमत पाल रही थी।
मॉरल साइंस
स्कूलों में मॉरल साइंस एक बेहद महत्त्वपूर्ण विषय माना जाता है। इसमें छात्रों को जीवन जीने का सही तरीका सिखाया जाता है। दीनानाथ बत्रा की लिखी हुई नई किताब में सबसे पहले सरस्वती वंदना को शामिल किया गया है। उनके मुताबिक इस मंत्र को पढ़ने से छात्रों में भारतीय मूल्यों का सृजन होता है। आलोचकों का कहना है कि गैर-हिन्दू छात्रों को भी यह पढ़ने पर मजबूर होना पड़ता है जो देश के सेक्युलर विचारधारा के खिलाफ है। गुजरात पहले ही इस किताब को हर स्कूल में कंपलसरी कर चुका है।
मुसलमान और ईसाई बाहरी हैं
गुजरात में इतिहास को बदलने की प्रक्रिया नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बहुत पहले ही शुरू हो गई थी। 1995 में केशुभाई पटेल राज्य के मुख्यमंत्री थे। क्लास 9 की सोशल साइंस की किताबों में मुसलमान, ईसाई और पारसियों को बाहरी बताया गया था। वहीं यह भी लिखा गया था कि अधिकतर राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं वहीं मुसलमान, सिख और ईसाई बहुसंख्यक हैं। दसवीं की किताब में हिटलर को एक हीरो के रूप में प्रदर्शित किया गया था जिसने जर्मनी की सरकार को गौरवान्वित किया था। हालांकि बाद में इस किताब को वापस ले लिया गया।
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