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आज सोशल नेटवर्किंग किसी भी रिश्ते में असंतोष का कारण बन सकती है।

आज के दौर में जिंदगी जितनी सामाजिक हो चुकी है, रिश्ते उतनी ही मुश्किल। सोशल मीडिया के इस दौर में रिश्तों में असुरक्षा का होना आम होता जा रहा है। पिछले एक दशक में सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता जबरदस्त तरीके से बढ़ी हैं। लोग अपनी व दूसरों की जिंदगी के हर पहलू बताना और जानना चाहते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट अधिकांश लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। शुरूआत में इस तरह की वेबसाइटों ने आपसी संबंधों को मजबूती जरूर दी थी, लेकिन अब इसके द्वारा रिश्‍तों में समस्‍या पैदा होने लगी हैं। आज सोशल नेटवर्किंग किसी भी रिश्ते में असंतोष का कारण बन सकती है। 
जब आपका साथी आपसे ज्यादा सोशल नेटवर्किंग साइट पर समय बिताता है तो आपको भावनात्मक ठेस पहुंचती है और कभी-कभी इसके दुष्‍प्रभाव के कारण व्‍यक्ति खुद को उपेक्षित महसूस करने लगता है। आज कल तो सोशल मीडिया पर साथी की बेवफाई से जुड़े मैसेज को पाकर लोग विचलित हो उठते है। इस मामले में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं को अधिक दुखी देखा गया हैं। अक्सर देखा गया है कि महिलाएं तब ज्यादा दुखी होती है जब उन्हें बेवफाई का पता किसी विरोधी व्यक्ति से चलता है। एक ताजा अध्ययन में ब्रिटेन में कार्डिफ मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने बताया कि पुरुष सोशल मीडिया पर अपनी महिला साथी के संबंध में भावनात्मक बेवफाई से ज्यादा यौनिक बेवफाई से दुखी होते हैं।
जरूरत से ज्यादा सोशल मीडिया का उपयोग आपको डिप्रेशन में डाल सकता है। देखा गया है कि जो लोग सोशल मीडिया के आदी हो जाते है वो लोग अक्सर अपने रिश्तों को दूसरों से तुलना करके देखने लगते है और यहीं उनकी जिंदगी में परेशानी का विषय हो सकता है। ऐसे लोग ये दिखाने की कोशिश करने लगते हैं कि उनका रिश्ता औरों से बेहतर है। 
जो लोग अपने रिश्ते में ज्यादा खुश और सुरक्षित महसूस करते हैं, वो लोग ज्यादातर अपने रिश्तों को  सोशल मीडिया से दूर रखने की कोशिश करते हैं। क्योंकि ऐसे लोगों का सोचना हैं कि उन्हें अपने रिश्ते को दुनिया को दिखाने की जरूरत नहीं है और ये बात सही भी है। ऐसा करके आप अपनी जिंदगी खुल कर जीते हैं और सामाजिक व व्यवहारिक रहते हुए भी किसी से ज्यादा मतलब नहीं रख पाते हो। इसके साथ ही साथ रिश्तों की मजबूती के लिए एक-दूसरे को टाइम भी दे पाते हैं जो की बहुत जरूरी है। 

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