GST पर अफवाह का सच...
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक अफवाह फैली हुई है कि सरकार ने *पूजा सामग्री पर 18 फीसदी जीएटी लगाया है, जबकि मांस पर ज़ीरो फीसदी जीएसटी है।* कई लोग इस अफवाह पर भरोसा भी कर रहे हैं और बेहद गुस्से में इसे शेयर कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक हिंदूवादी सरकार के रहते हुए कैसे पूजा सामग्री पर इतना भारी टैक्स लगाया जा रहा है।
लेकिन ये सारी बातें दरअसल पूरी तरह उलजलूल गलत हैं। *पूजा सामग्री पर टैक्स की बात पूरी तरह से झूठ है। इसी तरह मांस पर ज़ीरो फीसदी टैक्स के दावे भी गलत हैं।* इसकी सच्चाई हम आपको आगे बताएंगे, लेकिन पहले यह जानना जरूरी है कि गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानी जीएसटी केंद्र सरकार ने अकेले नहीं बनाया है। इसके तहत जो दरें तय की जा रही हैं, उसके लिए बाकायदा राज्यों की एक कमेटी बनी है जो तथ्यों और तर्क के आधार पर दरें तय कर रही है।
दरअसल जीएसटी की लिस्ट में पूजा सामग्री जैसी किसी चीज का जिक्र ही नहीं है। पूजा सामग्री दरअसल कोई एक सामान नहीं होता, बल्कि अलग-अलग चीजें इसमें शामिल होती हैं। मिसाल के तौर पर अगरबत्ती, प्रसाद, हवन सामग्री वगैरह। हवन सामग्री की बात करें तो इसमें कई चीजें शामिल होती हैं। जैसे कि धूप की लकड़ी का बुरादा, देसी घी, लोहबान जैसी खुशबू सामग्री और मेवे। इनमें से कई चीजों पर कोई टैक्स नहीं है। इसके अलावा पानी, फूल, माला, चंदन, सूत जैसी चीजें भी टैक्स के दायरे से बाहर हैं।
हवन में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर तेल 5 फीसदी यानी न्यूनतम जीएसटी दायरे में आते हैं। अगरबत्ती और धूपबत्ती को 12 परसेंट टैक्स में रखा गया है। क्योंकि यह एक उद्योग की तरह चल रहा है और *जबकि इस पर मौजूदा टैक्स 28 फीसदी के करीब लग रहा है।* जीएसटी के बाद यह 12 फीसदी रह जाएगा। तो इसमें गलत क्या है? इसके अलावा रूई, कपूर, कुमकुम और चंदन पर कोई जीएसटी नहीं है। इसके अलावा पान, सुपाड़ी, शहद वगैरह भी टैक्स के दायरे से बाहर हैं।
देसी घी पर 12 फीसदी टैक्स को लेकर भी कुछ लोग सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन वो इसके पीछे का तर्क नहीं समझ रहे। इसके पीछे एक कारण है। जीएसटी में किसी भी सामान के शुरुआती रूप को टैक्स मुक्त रखा गया है, जैसे कि दूध पर कोई टैक्स नहीं, लेकिन जब उससे घी बनेगा तो 12 फीसदी टैक्स लगेगा। यही तर्क मांस पर भी लागू होता है, जिसके मुताबिक कच्चा मांस तो टैक्स फ्री है, लेकिन जब उसकी प्रॉसेसिंग होगी तो 12 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा।
जब होटल में कोई मांसाहारी डिश मंगाएगा तो उस पर 18 फीसदी टैक्स लागू होगा। इस तरह से हर टैक्स के पीछे तर्क है ताकि आगे चलकर इसे लेकर कोई गलतफहमी की गुंजाइश नहीं बचे। *पार्टी विशेष के अफवाहबाजों ने तो यह खबर भी उड़ा दी कि सरकार ने बीफ (शायद गोमांस) को टैक्स फ्री कर दिया। जबकि ऐसा कुछ नहीं है।*
*कई लोग दावा कर रहे हैं कि आयुर्वेदिक दवाओं पर 12 फीसदी जीएसटी लगा है जबकि एलोपैथिक दवाओं पर सिर्फ 5 फीसदी।* इसका भी सोशल मीडिया पर जोरदार प्रचार चल रहा है। जबकि यह दावा गलत है। आयुर्वेदिक दवाओं पर 12 फीसदी जीएसटी वाली बात सही है, लेकिन एलोपैथी पर 5 फीसदी वाली बात सरासर गलत है। *इनकी प्रॉसेसिंग से जुड़े ज्यादातर सामान पर पर कुल मिलाकर करीब 18 फीसदी जीएसटी पड़ेगा।*
*हालांकि ये दोनों टैक्स मौजूदा टैक्स के मुकाबले काफी कम है। यानी आयुर्वेदिक और एलोपैथी दोनों तरह की दवाएं सस्ती होंगी।* जहां तक लिस्ट में *5 फीसदी टैक्स* का सवाल है ये *सिर्फ इंसुलिन और ऐसी बेहद जरूरी दवाओं के लिए है।* लेकिन झूठ फैलाने वाले कुछ इस तरह जता रहे हैं जैसे कि सरकार आयुर्वेदिक दवाओं को महंगा करके एलोपैथी को बढ़ावा देना चाहती है।
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक अफवाह फैली हुई है कि सरकार ने *पूजा सामग्री पर 18 फीसदी जीएटी लगाया है, जबकि मांस पर ज़ीरो फीसदी जीएसटी है।* कई लोग इस अफवाह पर भरोसा भी कर रहे हैं और बेहद गुस्से में इसे शेयर कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक हिंदूवादी सरकार के रहते हुए कैसे पूजा सामग्री पर इतना भारी टैक्स लगाया जा रहा है।
लेकिन ये सारी बातें दरअसल पूरी तरह उलजलूल गलत हैं। *पूजा सामग्री पर टैक्स की बात पूरी तरह से झूठ है। इसी तरह मांस पर ज़ीरो फीसदी टैक्स के दावे भी गलत हैं।* इसकी सच्चाई हम आपको आगे बताएंगे, लेकिन पहले यह जानना जरूरी है कि गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानी जीएसटी केंद्र सरकार ने अकेले नहीं बनाया है। इसके तहत जो दरें तय की जा रही हैं, उसके लिए बाकायदा राज्यों की एक कमेटी बनी है जो तथ्यों और तर्क के आधार पर दरें तय कर रही है।
दरअसल जीएसटी की लिस्ट में पूजा सामग्री जैसी किसी चीज का जिक्र ही नहीं है। पूजा सामग्री दरअसल कोई एक सामान नहीं होता, बल्कि अलग-अलग चीजें इसमें शामिल होती हैं। मिसाल के तौर पर अगरबत्ती, प्रसाद, हवन सामग्री वगैरह। हवन सामग्री की बात करें तो इसमें कई चीजें शामिल होती हैं। जैसे कि धूप की लकड़ी का बुरादा, देसी घी, लोहबान जैसी खुशबू सामग्री और मेवे। इनमें से कई चीजों पर कोई टैक्स नहीं है। इसके अलावा पानी, फूल, माला, चंदन, सूत जैसी चीजें भी टैक्स के दायरे से बाहर हैं।
हवन में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर तेल 5 फीसदी यानी न्यूनतम जीएसटी दायरे में आते हैं। अगरबत्ती और धूपबत्ती को 12 परसेंट टैक्स में रखा गया है। क्योंकि यह एक उद्योग की तरह चल रहा है और *जबकि इस पर मौजूदा टैक्स 28 फीसदी के करीब लग रहा है।* जीएसटी के बाद यह 12 फीसदी रह जाएगा। तो इसमें गलत क्या है? इसके अलावा रूई, कपूर, कुमकुम और चंदन पर कोई जीएसटी नहीं है। इसके अलावा पान, सुपाड़ी, शहद वगैरह भी टैक्स के दायरे से बाहर हैं।
देसी घी पर 12 फीसदी टैक्स को लेकर भी कुछ लोग सवाल खड़े कर रहे हैं, लेकिन वो इसके पीछे का तर्क नहीं समझ रहे। इसके पीछे एक कारण है। जीएसटी में किसी भी सामान के शुरुआती रूप को टैक्स मुक्त रखा गया है, जैसे कि दूध पर कोई टैक्स नहीं, लेकिन जब उससे घी बनेगा तो 12 फीसदी टैक्स लगेगा। यही तर्क मांस पर भी लागू होता है, जिसके मुताबिक कच्चा मांस तो टैक्स फ्री है, लेकिन जब उसकी प्रॉसेसिंग होगी तो 12 फीसदी टैक्स देना पड़ेगा।
जब होटल में कोई मांसाहारी डिश मंगाएगा तो उस पर 18 फीसदी टैक्स लागू होगा। इस तरह से हर टैक्स के पीछे तर्क है ताकि आगे चलकर इसे लेकर कोई गलतफहमी की गुंजाइश नहीं बचे। *पार्टी विशेष के अफवाहबाजों ने तो यह खबर भी उड़ा दी कि सरकार ने बीफ (शायद गोमांस) को टैक्स फ्री कर दिया। जबकि ऐसा कुछ नहीं है।*
*कई लोग दावा कर रहे हैं कि आयुर्वेदिक दवाओं पर 12 फीसदी जीएसटी लगा है जबकि एलोपैथिक दवाओं पर सिर्फ 5 फीसदी।* इसका भी सोशल मीडिया पर जोरदार प्रचार चल रहा है। जबकि यह दावा गलत है। आयुर्वेदिक दवाओं पर 12 फीसदी जीएसटी वाली बात सही है, लेकिन एलोपैथी पर 5 फीसदी वाली बात सरासर गलत है। *इनकी प्रॉसेसिंग से जुड़े ज्यादातर सामान पर पर कुल मिलाकर करीब 18 फीसदी जीएसटी पड़ेगा।*
*हालांकि ये दोनों टैक्स मौजूदा टैक्स के मुकाबले काफी कम है। यानी आयुर्वेदिक और एलोपैथी दोनों तरह की दवाएं सस्ती होंगी।* जहां तक लिस्ट में *5 फीसदी टैक्स* का सवाल है ये *सिर्फ इंसुलिन और ऐसी बेहद जरूरी दवाओं के लिए है।* लेकिन झूठ फैलाने वाले कुछ इस तरह जता रहे हैं जैसे कि सरकार आयुर्वेदिक दवाओं को महंगा करके एलोपैथी को बढ़ावा देना चाहती है।
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