मुम्बईकर की जान से खेलने वाले रेल्वे विभाग हो या महाराष्ट्र की सरकार, या लोगों का हक्क की कमाई पर टैक्स को वसूल करने वाले डकैत, ख़ूनी, 28 निर्दोष लोअर परेल रेलवे पर भगदड़ से मुम्बईकर की जान लेने वाली यह BMC अधिकारी हो। मेरे पास शब्द कब पड़ सकते है। लेकिन मैं आज संपादक के कलम से नही कॉमन मेन बन कर लिख रहा हूं। मुझे भी ऐसा लगता है,मेरे अपने उस हादसा मैं आज मरे है। मैं भी आज उन सब मुम्बईकर कर साथ आज मर चुका हूँ।
शर्म उन नेता को आनी चाहिये जो लोग उन मासूम लोगो की मौत पर राजनीति कर रहे है। आज मैं दावे के साथ कह सकता हूं,उन सब अधिकारी, नेता के बारे मैं की उनकी माँ ने आज की घटनाओ देकर, आज वह भी माँ, सारे मुम्बईकर के साथ रोई होंगी।
उसने भी अपने कोख पर दुःख जताया होगा।इस तरह के नेता, अधिकारी, को जन्म देकर!
मैं आज लिख भी नही पा रहा हूं। मुझे शर्म महसूस हो रही की मैं किस भारत मैं जी रहा हूं। सुबह से वही हादसा नजर के सामने बार बार
आ रहा है,की किस तरह एक आदमी अपनी पत्नी के लाश के पास बैठकर भगदड़ करने वाले लोगो से दूर कर रहा है।ताकि उसे मरने के बाद भी कोई चोट ना लगें।
VR. Chavan
Editor
शर्म उन नेता को आनी चाहिये जो लोग उन मासूम लोगो की मौत पर राजनीति कर रहे है। आज मैं दावे के साथ कह सकता हूं,उन सब अधिकारी, नेता के बारे मैं की उनकी माँ ने आज की घटनाओ देकर, आज वह भी माँ, सारे मुम्बईकर के साथ रोई होंगी।
उसने भी अपने कोख पर दुःख जताया होगा।इस तरह के नेता, अधिकारी, को जन्म देकर!
मैं आज लिख भी नही पा रहा हूं। मुझे शर्म महसूस हो रही की मैं किस भारत मैं जी रहा हूं। सुबह से वही हादसा नजर के सामने बार बार
आ रहा है,की किस तरह एक आदमी अपनी पत्नी के लाश के पास बैठकर भगदड़ करने वाले लोगो से दूर कर रहा है।ताकि उसे मरने के बाद भी कोई चोट ना लगें।
VR. Chavan
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