हाईकोर्ट ने मीटर रीडिंग के नाम पर आमजनता से लूट और धोखाधड़ी के आरोप संबंधी जनहित याचिका को बेहद गंभीरता से लिया
जबलपुर। मध्यप्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट ने मीटर रीडिंग के नाम पर आमजनता से लूट और धोखाधड़ी के आरोप संबंधी जनहित याचिका को बेहद गंभीरता से लिया। इसी के साथ राज्य शासन, ऊर्जा विभाग और मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता जय रेवाखंड के पदाधिकारी सुबोध गौतम की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी, प्रशांत अवस्थी, असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ला, पंकज तिवारी, रितेश शर्मा और राजेश खरे खड़े हुए।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं और आम जनता को लूटने के लिए मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली मीटरों की फोटो रीडिंग और स्पॉट बिलिंग का ठेका एक निजी कंपनी फेडको को दिया गया है। फेडको ने नियम-कानून को ताक पर रख दिया है।
इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड-2004 में घरेलू बिजली के लिए बिलिंग के संदर्भ में 30 दिन का टैरिफ निर्धारित है। इसके बावजूद जनता को लूटने और बिल में यूनिटों को ऊंची स्लैब दर पर लेकर जाकर अधिक बिल वसूली के लिए फेडको 45 दिन या उससे अधिक दिनों की बिलिंग कर आपराधिक धोखाधड़ी कर रही है।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्पॉट बिलिंग मशीन दोषपूर्ण है। जिस सीसी एंड एन सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जा रहा है, वह स्वयं लाभ उठाने वाली निजी कंपनी ने विकसित किया है। इस सिस्टम में पिछले चुकता बिल की राशि यदि जुड़ गई तो उसे घटाने की कोई व्यवस्था ही नहीं है।
स्पॉट बिलिंग की लंबी पट्टी उपभोक्ता की समझ में नहीं आ रही है। सीसी एंड बी बिलिंग सिस्टम को फेडको ने खुली बेईमानी के लिए बदल दिया है। अधिकारी चोरी का प्रकरण बनाने की धमकी देकर जनता को आतंकित करने में जुटे हैं। खपत 50 यूनिट की हो रही है और बिल 500 यूनिट का आ रहा है, इससे पूरे प्रदेश में अराजकता की स्थिति निर्मित हो गई है।
मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता जय रेवाखंड के पदाधिकारी सुबोध गौतम की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी, प्रशांत अवस्थी, असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ला, पंकज तिवारी, रितेश शर्मा और राजेश खरे खड़े हुए।
याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं और आम जनता को लूटने के लिए मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली मीटरों की फोटो रीडिंग और स्पॉट बिलिंग का ठेका एक निजी कंपनी फेडको को दिया गया है। फेडको ने नियम-कानून को ताक पर रख दिया है।
इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड-2004 में घरेलू बिजली के लिए बिलिंग के संदर्भ में 30 दिन का टैरिफ निर्धारित है। इसके बावजूद जनता को लूटने और बिल में यूनिटों को ऊंची स्लैब दर पर लेकर जाकर अधिक बिल वसूली के लिए फेडको 45 दिन या उससे अधिक दिनों की बिलिंग कर आपराधिक धोखाधड़ी कर रही है।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्पॉट बिलिंग मशीन दोषपूर्ण है। जिस सीसी एंड एन सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जा रहा है, वह स्वयं लाभ उठाने वाली निजी कंपनी ने विकसित किया है। इस सिस्टम में पिछले चुकता बिल की राशि यदि जुड़ गई तो उसे घटाने की कोई व्यवस्था ही नहीं है।
स्पॉट बिलिंग की लंबी पट्टी उपभोक्ता की समझ में नहीं आ रही है। सीसी एंड बी बिलिंग सिस्टम को फेडको ने खुली बेईमानी के लिए बदल दिया है। अधिकारी चोरी का प्रकरण बनाने की धमकी देकर जनता को आतंकित करने में जुटे हैं। खपत 50 यूनिट की हो रही है और बिल 500 यूनिट का आ रहा है, इससे पूरे प्रदेश में अराजकता की स्थिति निर्मित हो गई है।
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