घोटाला और बलात्कार प्रदेश बन चुके मध्यप्रदेश में 100 करोड़ से ज्यादा का आंगनवाड़ी घोटाला सामने आया है। राजधानी भोपाल में ही 15 करोड़ रुपए फर्जी आंगनवाड़ी कर्मचारियों के वेतन के नाम पर निकाले गए हैं।
एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के निदेशालय ने आठ बाल विकास परियोजना अधिकारियों समेत 13 अधिकारियों को निलंबित किया है।शुरुआती जांच के मुताबिक भोपाल में 10 में से 8 आईसीडीएस प्रोजेक्ट्स से साल 2015-16 और 2016-17 के दौरान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मजदूरी और वेतन देने के नाम पर करीब 15 करोड़ रूपये निकाले गए।
निदेशालय की जांच से पहले मामले की तीन बार जांच की गई थी। तीनों जांचें घोटाले का पता लगाने में नाकाम रहीं। सरकारी खजाने से पैसे निकालने के बाद प्रोजेक्ट ऑफिस के रिकॉर्ड में कागजात बदल दिए जाते थे।
घोटाला इस तरह से हुआ, "आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन का भुगतान करने के लिए डिमांड अनुरोधों को सरकारी ट्रेजरी के पास भेजा गया। व्यक्तिगत लोगों और प्राइवेट फर्म के बैंक अकाउंट नंबर पैसे भेजने के लिए ट्रेजरी रिकॉर्ड में भेजे गए।" पैसों को नियमों के मुताबिक ही ट्रांसफर किया गया लेकिन पैसे निकालने की ऑफिस कॉपी को दूसरी कॉपी से बदला दिया गया जिसमें वेतन के रूप में ट्रांसफर किए गए पैसों का लेखा-जोखा नहीं था।
वेतन पहले से ही दिया जा चुका था, उसे फुटकर खर्च के बिलों के साथ बदल दिया गया। इस वजह से शुरुआती जांच में घोटाले की बात नहीं आ पाई। इस तरीके से दो करोड़ निकाल लिए गए। एक अधिकारी ने बताया, 5000 फर्जी आंगनबाड़ी कर्मचारियों के वेतन को निकालकर करीब 92 लोगों के अकाउंट में भेजा गया।
घोटाले की जांच कर रहे आईसीडीएस के वित्तीय सलाहकार पंडित राजकुमार त्रिपाठी को शुरुआती जांच सौंपी गई है और 13 अधिकारियों को निलंबित किया गया है।
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