मुंबई। राकांपा नेता छगन भुजबल की प्रवर्तन निदेशालय ने 20.41 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति जब्त कर ली। ये संपत्ति प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जब्त की गई है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रहे छगन भुजबल पर दिल्ली स्थित न्यू महाराष्ट्र सदन के निर्माण एवं मुंबई के कालीना क्षेत्र के एक निर्माण में घोटाले का आरोप है।
भुजबल मुंबई के ऑर्थर रोड जेल में बंद हैं। भुजबल के पुत्र एवं राकांपा विधायक पंकज भुजबल एवं भतीजे समीर भुजबल भी इसी मामले में आरोपी हैं। प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि छगन भुजबल ने उक्त इमारतों के निर्माण में गलत तरीके से पैसा बनाया एवं उसका निवेश फर्जी कंपनियों के जरिए करवाया गया। आयकर विभाग एवं प्रवर्तन निदेशालय इससे पहले भी भुजबल की 300 करोड़ रुपयों से ज्यादा की संपत्तियां जब्त कर चुका है।
भुजबल के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी जांच की है। फरवरी 2016 में एसीबी भुजबल सहित 17 आरोपियों के विरुद्ध 20,000 पन्नों से ज्यादा का आरोपपत्र अदालत में पेश कर चुका है। आयकर विभाग ने इस मामले में ऐसी 44 कंपनियों को चिन्हित किया है, जिन्होंने बेनामी समझी जा रही तीन में से दो कंपनियों में निवेश किया। यह उस कानून का उल्लंघन है, जो बन तो 1988 में ही गया था, लेकिन अमल में पिछले वर्ष एक नवंबर से आना शुरू हुआ है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर सात वर्ष तक कठोर कारावास एवं बेनामी संपत्तियों के बाजार मूल्य का 25 फीसद तक जुर्माना हो सकता है। इन संपत्तियों की चार माह तक जांच करनेवाली आयकर विभाग की टीम का मानना है कि भुजबल परिवार द्वारा ये संपत्तियां अघोषित आय का उपयोग करके खरीदी गई हैं।
भुजबल के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी जांच की है। फरवरी 2016 में एसीबी भुजबल सहित 17 आरोपियों के विरुद्ध 20,000 पन्नों से ज्यादा का आरोपपत्र अदालत में पेश कर चुका है। आयकर विभाग ने इस मामले में ऐसी 44 कंपनियों को चिन्हित किया है, जिन्होंने बेनामी समझी जा रही तीन में से दो कंपनियों में निवेश किया। यह उस कानून का उल्लंघन है, जो बन तो 1988 में ही गया था, लेकिन अमल में पिछले वर्ष एक नवंबर से आना शुरू हुआ है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर सात वर्ष तक कठोर कारावास एवं बेनामी संपत्तियों के बाजार मूल्य का 25 फीसद तक जुर्माना हो सकता है। इन संपत्तियों की चार माह तक जांच करनेवाली आयकर विभाग की टीम का मानना है कि भुजबल परिवार द्वारा ये संपत्तियां अघोषित आय का उपयोग करके खरीदी गई हैं।
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