देखो 26 जनवरी आयी ! क्या भूल जाओगे फिर से उन वीरो की कुर्बानी !

देखो 26 जनवरी है आयी, गणतंत्र की सौगात है लायी।
अधिकार दिये हैं इसने अनमोल, जीवन में बढ़ सके बिन अवरोध।
हर साल 26 जनवरी को होता है वार्षिक आयोजन,
लाला किले पर होता है जब प्रधानमंत्री का भाषन,
नयी उम्मीद और नये पैगाम से, करते है देश का अभिभादन,
अमर जवान ज्योति, इंडिया गेट पर अर्पित करते श्रद्धा सुमन,
2 मिनट के मौन धारण से होता शहीदों को शत-शत नमन।
सौगातो की सौगात है, गणतंत्र हमारा महान है,
आकार में विशाल है, हर सवाल का जवाब है,
संविधान इसका संचालक है, हम सब का वो पालक है,
लोकतंत्र जिसकी पहचान है, हम सबकी ये शान है,
गणतंत्र हमारा महान है, गणतंत्र हमारा महान है।

गणतंत्र भारत का निर्माण
हम गणतंत्र भारत के निवासी, करते अपनी मनमानी।
दुनिया की कोई फिक्र नहीं, संविधान है करता पहरेदारी।।
है इतिहास इसका बहुत पुराना, संघर्षों का था वो जमाना;
न थी कुछ करने की आजादी, चारों तरफ हो रही थी बस देश की बर्बादी,
एक तरफ विदेशी हमलों की मार,
दूसरी तरफ दे रहे थे कुछ अपने ही अपनो को घात,
पर आजादी के परवानों ने हार नहीं मानी थी,
विदेशियों से देश को आजाद कराने की जिद्द ठानी थी,
एक के एक बाद किये विदेशी शासकों पर घात,
छोड़ दी अपनी जान की परवाह, बस आजाद होने की थी आखिरी आस।
1857 की क्रान्ति आजादी के संघर्ष की पहली कहानी थी,
जो मेरठ, कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली और अवध में लगी चिंगारी थी,
जिसकी नायिका झांसी की रानी आजादी की दिवानी थी,
देश भक्ति के रंग में रंगी वो एक मस्तानी थी,
जिसने देश हित के लिये स्वंय को बलिदान करने की ठानी थी,
उसके साहस और संगठन के नेतृत्व ने अंग्रेजों की नींद उड़ायी थी,
हरा दिया उसे षडयंत्र रचकर, कूटनीति का भंयकर जाल बुनकर,
मर गयी वो पर मरकर भी अमर हो गयी,

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