नये सत्र में कॉपी किताब, गणवेश के मामले में एक बार फिर पालक लुटने पर मजबूर हो जायें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।
कॉपी-किताब, गणवेश में लुटेंगे पालक!
सिवनी (साई)। अप्रैल माह की दो तारीख से अनेक निजि और सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं का नया शैक्षणिक सत्र आरंभ हो जायेगा। नये सत्र में कॉपी किताब, गणवेश के मामले में एक बार फिर पालक लुटने पर मजबूर हो जायें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।
सरकार के द्वारा फीस निर्धारण के मामले में हर साल की तरह इस साल भी अभी तक कुछ तय नहीं किया गया है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा हर साल इस तरह के आदेश जारी किये जाते रहे हैं कि गणवेश, कॉपी – किताब आदि सामग्री की हर स्थान पर कम से कम आठ दुकानें होना चाहिये। राज्य शिक्षा केंद्र के आदेशों का पालन सिवनी में अब तक नहीं कराया जा सका है।
इस साल भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (डीईओ) में नये शैक्षणिक सत्र के पहले किसी तरह की सुगबुगाहट नहीं देखी जा रही है। डीईओ कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अभी तक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा इस तरह की कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गयी है जिससे निजि शालाओं के द्वारा पाठ्यक्रम में निजि प्रकाशकों की महंगी किताबों के स्थान पर एनसीईआरटी की सस्ती किताबें और गणवेश की लूट से पालकों को बचाया जा सके।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के छिंदवाड़ा ब्यूरो से प्रदीप माथुर ने जिला कलेक्टर कार्यालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि निजि स्कूल, किताब कॉपी विक्रेताओं और यूनिफॉर्म बेचने वालों की सांठ-गांठ से लूटखसोट का शिकार हो रहे अभिभावकों की शिकायत मिलने के बाद एसडीएम के द्वारा अनेक बुक डिपो और निजि शालाओं में छापामार कार्यवाही की गयी है।
पालकों के बीच चल रहीं चर्चाओं के अनुसार जिले में चल रहीं निजि शैक्षणिक संस्थाओं में पालकों को दुकान विशेष से ही गणवेश और कॉपी – किताबें खरीदने के लिये परोक्ष तौर पर मजबूर किया जाता है। चर्चाओं के अनुसार जब राज्य शिक्षा केंद्र के स्पष्ट आदेश हैं तो जिला प्रशासन इन आदेशों की तामीली से कतराता क्यों है?
चर्चाओं के अनुसार अगर पालकों के द्वारा शैक्षणिक सत्र के आरंभ में अप्रैल माह में ही अपने बच्चों को निर्धारित पाठ्यक्रम की कॉपी – किताबें और निर्धारित गणवेश नहीं दिलवाया जाता है तो शाला में शिक्षकों के द्वारा विद्यार्थियों को सबके सामने न केवल भला-बुरा कहा जाता है वरन उन्हें दण्ड भी दिया जाता है।
पालकों का कहना है कि संवेदनशील जिला कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अब तक अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट नहीं किया गया है। पालकों के अनुसार जिला कलेक्टर को चाहिये कि वे हर अनुविभाग में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को इसके लिये पाबंद करें कि शाला संचालकों और पब्लिशर्स की मनमानी में पिसते पालकों को कुछ राहत मिल सके।
सिवनी (साई)। अप्रैल माह की दो तारीख से अनेक निजि और सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं का नया शैक्षणिक सत्र आरंभ हो जायेगा। नये सत्र में कॉपी किताब, गणवेश के मामले में एक बार फिर पालक लुटने पर मजबूर हो जायें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये।
सरकार के द्वारा फीस निर्धारण के मामले में हर साल की तरह इस साल भी अभी तक कुछ तय नहीं किया गया है। राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा हर साल इस तरह के आदेश जारी किये जाते रहे हैं कि गणवेश, कॉपी – किताब आदि सामग्री की हर स्थान पर कम से कम आठ दुकानें होना चाहिये। राज्य शिक्षा केंद्र के आदेशों का पालन सिवनी में अब तक नहीं कराया जा सका है।
इस साल भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (डीईओ) में नये शैक्षणिक सत्र के पहले किसी तरह की सुगबुगाहट नहीं देखी जा रही है। डीईओ कार्यालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अभी तक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा इस तरह की कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गयी है जिससे निजि शालाओं के द्वारा पाठ्यक्रम में निजि प्रकाशकों की महंगी किताबों के स्थान पर एनसीईआरटी की सस्ती किताबें और गणवेश की लूट से पालकों को बचाया जा सके।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के छिंदवाड़ा ब्यूरो से प्रदीप माथुर ने जिला कलेक्टर कार्यालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि निजि स्कूल, किताब कॉपी विक्रेताओं और यूनिफॉर्म बेचने वालों की सांठ-गांठ से लूटखसोट का शिकार हो रहे अभिभावकों की शिकायत मिलने के बाद एसडीएम के द्वारा अनेक बुक डिपो और निजि शालाओं में छापामार कार्यवाही की गयी है।
पालकों के बीच चल रहीं चर्चाओं के अनुसार जिले में चल रहीं निजि शैक्षणिक संस्थाओं में पालकों को दुकान विशेष से ही गणवेश और कॉपी – किताबें खरीदने के लिये परोक्ष तौर पर मजबूर किया जाता है। चर्चाओं के अनुसार जब राज्य शिक्षा केंद्र के स्पष्ट आदेश हैं तो जिला प्रशासन इन आदेशों की तामीली से कतराता क्यों है?
चर्चाओं के अनुसार अगर पालकों के द्वारा शैक्षणिक सत्र के आरंभ में अप्रैल माह में ही अपने बच्चों को निर्धारित पाठ्यक्रम की कॉपी – किताबें और निर्धारित गणवेश नहीं दिलवाया जाता है तो शाला में शिक्षकों के द्वारा विद्यार्थियों को सबके सामने न केवल भला-बुरा कहा जाता है वरन उन्हें दण्ड भी दिया जाता है।
पालकों का कहना है कि संवेदनशील जिला कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में अब तक अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट नहीं किया गया है। पालकों के अनुसार जिला कलेक्टर को चाहिये कि वे हर अनुविभाग में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को इसके लिये पाबंद करें कि शाला संचालकों और पब्लिशर्स की मनमानी में पिसते पालकों को कुछ राहत मिल सके।
Comments