१. सबसे पहले झूठी शिकायत देने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ एक काउंटर शिकायत सम्बंधित या नजदीकी पुलिस स्टेशन में दें या उनके उच्चाधिकारी को दें। याद रखें शिकायत दर्ज कराने के लिए किसी सबूत को साथ देने की जरूरत नहीं होती। ये जांच अधिकारी की जिम्मेवारी होती है कि वो शिकायत की जांच करे, गलत पाये जाने पर शिकायत बंद कर दे या फिर सही पाये जाने पर सम्बंधित धारा के तहत केस दर्ज करे।
२. झूठी शिकायतकर्ता के खिलाफ एक प्राईवेट शिकायत इलाके के मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा १९० (ए) के तहत भी दी जा सकती है। जो आपकी शिकायत पर धारा २०० के तहत कारर्वाई करेंगे।
३. सी आर पी सी की धारा १५६(३) के तहत मजिस्ट्रेट को शिकायत देकर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने वास्ते निवेदन किया जा सकता है।
४. अगर उपरोक्त झूठी शिकायत कोर्ट में जाती है तो आप कोर्ट से "नोटिस ऑफ़ एक्वाजेशन" की मांग कर उस झूठी शिकायत को कांटेस्ट करने की इच्छा जताएं। जैसे ही आप कॉन्टेस्ट की बात रखेंगे तो अगली पार्टी को एक निश्चित समय सीमा के भीतर आपके खिलाफ सबूत एवं गवाह पेश करने होंगे। उस सबूत एवं गवाह को आप कोर्ट में क्रॉस परीक्षण कर सकते है एवं अपने पक्ष को रखते हुए सच्चाई कोर्ट के सामने ला सकते है।
५. झूठे शिकायतकर्ता को यूँ ही ना छोड़े। विभिन्न धाराओं के तहत उनके ऊपर भी केस दर्ज कराने कि प्रक्रिया शुरू करे। अपने साथ हुए ज्यादती एवं मानसिक परेशानी व मानहानि का मुआवजा मांगे। याद रखे कि झूठे शिकायतकर्ता क़ानून का मालिक नहीं है बल्कि वो तो क़ानून की कमियों का फायदा उठानेवाला मेनुपुलेटर है।
हमारे देश में क़ानून का सबसे बड़ा मालिक हमारे देश की संसद है और सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय उस क़ानून का संरक्षक। इन संविधानिक कोर्ट को किसी भी तरह के झूठी शिकायत या केस को ख़ारिज कर झूठी शिकायतकर्ता को समुचित दंड देने का पर्याप्त अधिकार है।
याद रखे लड़ाई आपको ही लड़नी है हम तो सिर्फ आपको रास्ता बता सकते है उसपर निर्भीक रूप से आपको आगे बढ़ना है, तभी इस तरह के झूठे शिकायतकर्ता को एक कड़ा सन्देश जाएगा जो कि एक तरह से जरूरी भी है |
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