आज भी दो वक्त की रोटी के लिये,इंसान को कचरे के पेटी से जुगाड़ करना पड़ रहा है।हाथ भी कपता यह तस्वीर निकालने के लिये, पता नही में क्यू यह कैमरे में यह तस्वीर लाना चाहता हू। रु भी कांप जाती यह सोचकर कि इंसान को बनाने वाले ने क्या इतना भी नही सोचा कि दो वक्त की रोटी भी उसकी किस्मत में इज्जत से दे।सोचता हु की में इस इंसान को इस तरह से जीने के लिये मजबूर क्यू किया।
क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता। महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खुशकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहन...
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