यह मालिक तेरे बन्दे हम !ऐसे हो हमारे कर्म !जैसे हँसते हूवे निकले हमारा दम !
आज भी दो वक्त की रोटी के लिये,इंसान को कचरे के पेटी से जुगाड़ करना पड़ रहा है।हाथ भी कपता यह तस्वीर निकालने के लिये, पता नही में क्यू यह कैमरे में यह तस्वीर लाना चाहता हू। रु भी कांप जाती यह सोचकर कि इंसान को बनाने वाले ने क्या इतना भी नही सोचा कि दो वक्त की रोटी भी उसकी किस्मत में इज्जत से दे।सोचता हु की में इस इंसान को इस तरह से जीने के लिये मजबूर क्यू किया।

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