Skip to main content

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है, योजना का इतिहास, योजना का फायदा, और इसमें आपका फायदा कैसे हैं ।

आज इसी बात पर दिल्ली के दरबारी ख़ाँ पार्क में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केशव मंडल के स्वयंसेवकों ने प्रकाश डालकर लोगों को जागरूकता का पाठ पढ़ाया ताकि इस योजना की विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हो जिससे योजना का लाभ उठाया जा सके*

*योजना का परिचय*
भारत में बेटियों के लिए चलाए जाने वाला सबसे प्रसिद्ध व बड़ा योजना है, इस योजना के तहत बेटियों की अस्तित्व बचाने की कोशिश गई है। इस योजना में बेटियों को पढ़ा-लिखा कर से समाज में एक सशक्त नागरिक बनाने की परिकल्पना की गई है।

*इस योजना की सब से खास बात है यह है कि, यह योजना चार मंत्रालयों का संयुक्त पहल है जिसमें परिवार कल्याण मंत्रालय, मानव संसाधन विकास महिला, बाल विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय शामिल है।*

केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकारों की भी भागीदारी इस योजना में तय है। केंद्रीय व राज्य स्तरों के साथ जिलों के स्तर पर भी इस की योजना की मॉनिटरिंग होती है।

*योजना का इतिहास*

योजना की शुरुआत 22 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के महेन्द्रगण जिले से किया था। हरियाणा का महेन्द्रगण जिले में हर हजार पुरुषों पर केवल 750 महिलाओं की संख्या है।

पहले चरण में 100 जिले में योजना को लागू किया गया था फिर उसे बढ़ाकर 161 तक कर दिया गया, ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अभी से बढ़ाकर 244 जिलों तक कर दिया गया है।

*योजना का बजट*

शुरुआत में इस योजना की बजट सिर्फ 100 करोड़ रुपया था सरकार जरूरत को देखते हुए इसकी बजट को बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए से ज्यादा कर दिया है। इस बजट के अलावा चार मंत्री वालों का अलग से बजट होता है जिसमें नारी उत्थान के लिए कई सामाजिक कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें राज्य सरकारों की भागीदारी भी है, कुछ राज्य ऐसे भी है जो महिलाओं एवं बेटियों के लिए अलग से योजना चलाते हैं।

*योजना की आवश्यकता*

2011 की जनगणना जनगणना में यह पता चला था कि भारत के जनसंख्या अनुपात प्रति 1000 पुरुषों में 940 महिलाएं हैं। 2001 की जनगणना से पता चला कि 1000 पुरुषों में 933 महिलाएं थीं।

भारत के कुछ प्रदेशों में लिंग अनुपात बहुत तेजी से निम्न स्तर पर आ रहा है, जैसे दमन और दीव का जनसंख्या अनुपात प्रति 1000 पुरुषों में 618 महिलाएं हैं।

मानव जीवन को आगे बढ़ाने वाली माताओं के संख्या में  गिरावट आ गया है, बिना माताओं के मानव का जीवन आगे बढ़ना असंभव है।

कन्या भूर्ण हत्या तेजी से बढ़ रहा है जो बहुत दुखद है, बेटियों को समाज में बोझ जाता है। इस मानसिकता के पीछे कहीं ना कहीं, दहेज शब्द का मानसिकता छुपा है। लोगों को लगता है कि बेटियों को पढ़ाना व्यर्थ है क्योंकि शादी के बाद दूसरे के घर चली जाएगी।

*सरकार हमारी मानसिकता को देखते हुए ही बेटियों को पढ़ा लिखा कर सशक्त बनाने के लिए इस योजना को बनाया है।*

**बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है, योजना का इतिहास, योजना का फायदा, और इसमें आपका फायदा कैसे हैं? आज इसी बात पर दिल्ली के दरबारी ख़ाँ पार्क में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केशव मंडल के स्वयंसेवकों ने प्रकाश डालकर लोगों को जागरूकता का पाठ पढ़ाया ताकि इस योजना की विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हो जिससे योजना का लाभ उठाया जा सके*

*योजना का परिचय*

भारत में बेटियों के लिए चलाए जाने वाला सबसे प्रसिद्ध व बड़ा योजना है, इस योजना के तहत बेटियों की अस्तित्व बचाने की कोशिश गई है। इस योजना में बेटियों को पढ़ा-लिखा कर से समाज में एक सशक्त नागरिक बनाने की परिकल्पना की गई है।

*इस योजना की सब से खास बात है यह है कि, यह योजना चार मंत्रालयों का संयुक्त पहल है जिसमें परिवार कल्याण मंत्रालय, मानव संसाधन विकास महिला, बाल विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय शामिल है।*

केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सरकारों की भी भागीदारी इस योजना में तय है। केंद्रीय व राज्य स्तरों के साथ जिलों के स्तर पर भी इस की योजना की मॉनिटरिंग होती है।

*योजना का इतिहास*

योजना की शुरुआत 22 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के महेन्द्रगण जिले से किया था। हरियाणा का महेन्द्रगण जिले में हर हजार पुरुषों पर केवल 750 महिलाओं की संख्या है।

पहले चरण में 100 जिले में योजना को लागू किया गया था फिर उसे बढ़ाकर 161 तक कर दिया गया, ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार अभी से बढ़ाकर 244 जिलों तक कर दिया गया है।

*योजना का बजट*

शुरुआत में इस योजना की बजट सिर्फ 100 करोड़ रुपया था सरकार जरूरत को देखते हुए इसकी बजट को बढ़ाकर 200 करोड़ रुपए से ज्यादा कर दिया है। इस बजट के अलावा चार मंत्री वालों का अलग से बजट होता है जिसमें नारी उत्थान के लिए कई सामाजिक कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें राज्य सरकारों की भागीदारी भी है, कुछ राज्य ऐसे भी है जो महिलाओं एवं बेटियों के लिए अलग से योजना चलाते हैं।

*योजना की आवश्यकता*

2011 की जनगणना जनगणना में यह पता चला था कि भारत के जनसंख्या अनुपात प्रति 1000 पुरुषों में 940 महिलाएं हैं। 2001 की जनगणना से पता चला कि 1000 पुरुषों में 933 महिलाएं थीं।

भारत के कुछ प्रदेशों में लिंग अनुपात बहुत तेजी से निम्न स्तर पर आ रहा है, जैसे दमन और दीव का जनसंख्या अनुपात प्रति 1000 पुरुषों में 618 महिलाएं हैं।

मानव जीवन को आगे बढ़ाने वाली माताओं के संख्या में  गिरावट आ गया है, बिना माताओं के मानव का जीवन आगे बढ़ना असंभव है।

कन्या भूर्ण हत्या तेजी से बढ़ रहा है जो बहुत दुखद है, बेटियों को समाज में बोझ जाता है। इस मानसिकता के पीछे कहीं ना कहीं, दहेज शब्द का मानसिकता छुपा है। लोगों को लगता है कि बेटियों को पढ़ाना व्यर्थ है क्योंकि शादी के बाद दूसरे के घर चली जाएगी।

*सरकार हमारी मानसिकता को देखते हुए ही बेटियों को पढ़ा लिखा कर सशक्त बनाने के लिए इस योजना को बनाया है।*

*योजना का लाभ*

*इस योजना का डायरेक्ट कोई भी वित्तीय लाभ नहीं है, समाचारों के अनुसार कुछ असामाजिक तत्व बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना के नकली फॉर्म को मार्केट में बेच रहे हैं और वह बता रहे हैं कि ₹200000 तक की राशि का सरकारी मदद मिलेगा।*

*इस योजना में लड़कियों की छात्रवृत्तियों का प्रावधान है, जिसका चयन जिला मुख्यालय से होता है।*

अगर कोई पिता बेटियों के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खाता खुलवाना है तो उसे प्रोविडेंट फंड के अकाउंट से भी ज्यादा इंटरेस्ट रेट दिया जाता है।

*बेटियों के प्रति मानसिकता को बदलने के लिए सरकार अनेक तरह के प्रचार-प्रसार करता है ! जैसे -*

‘’ प्रॉपर्टी एवं वसीयतों में बेटों के साथ बेटियों का भी नाम’’

‘’ बेटियां भी बेटियों से ज्यादा बेहतर पढ़ सकती हैं’’

‘’ बेटियां भी बेटों से ज्यादा नाम कमा सकती हैं’’

‘’ बेटियां भी नौकरी पा सकती है’’

बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश

इस योजना में बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की संपूर्ण कोशिश की गई है ताकि बेटियों को आने वाले समय में कभी भी बोझ समझा नहीं जाए। अगर बेटियों को भी पढ़ने लिखने का सही अवसर मिले तो वह बेटे से कहीं ज्यादा अच्छा कर सकती है।

*अंत में यह कहूंगा कि, अपनी बेटियों को शिक्षित बनाएँ और उसके लिए सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खाता जरूर खुलवा दें। मौजूदा समय में 8.5% से ज्यादा ब्याज दर है और आने वाले समय में यह बढ़ भी सकता है। बेटियों एवं महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार ना बनाएँ।

*इस योजना का डायरेक्ट कोई भी वित्तीय लाभ नहीं है, समाचारों के अनुसार कुछ असामाजिक तत्व बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ योजना के नकली फॉर्म को मार्केट में बेच रहे हैं और वह बता रहे हैं कि ₹200000 तक की राशि का सरकारी मदद मिलेगा।*

*इस योजना में लड़कियों की छात्रवृत्तियों का प्रावधान है, जिसका चयन जिला मुख्यालय से होता है।*

अगर कोई पिता बेटियों के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खाता खुलवाना है तो उसे प्रोविडेंट फंड के अकाउंट से भी ज्यादा इंटरेस्ट रेट दिया जाता है।

*बेटियों के प्रति मानसिकता को बदलने के लिए सरकार अनेक तरह के प्रचार-प्रसार करता है ! जैसे -*

‘’ प्रॉपर्टी एवं वसीयतों में बेटों के साथ बेटियों का भी नाम’’

‘’ बेटियां भी बेटियों से ज्यादा बेहतर पढ़ सकती हैं’’

‘’ बेटियां भी बेटों से ज्यादा नाम कमा सकती हैं’’

‘’ बेटियां भी नौकरी पा सकती है’’

बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश

इस योजना में बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने की संपूर्ण कोशिश की गई है ताकि बेटियों को आने वाले समय में कभी भी बोझ समझा नहीं जाए। अगर बेटियों को भी पढ़ने लिखने का सही अवसर मिले तो वह बेटे से कहीं ज्यादा अच्छा कर सकती है।

*अंत में यह कहूंगा कि, अपनी बेटियों को शिक्षित बनाएँ और उसके लिए सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खाता जरूर खुलवा दें। मौजूदा समय में 8.5% से ज्यादा ब्याज दर है और आने वाले समय में यह बढ़ भी सकता है। बेटियों एवं महिलाओं को घरेलू हिंसा का शिकार ना बना सकें।

Comments

Popular posts from this blog

पहले सेक्स की कहानी, महिलाओं की जुबानी.

क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता।                                                        महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खु‍शकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहना था कि उसने अपना कौमार्य एक ट्रैम्पोलाइन पर खोया। ट्रैम्पोलाइन वह मजबूत और सख्त कैनवास होता है, जिसे ‍स्प्रिंग के सहारे कि

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 !!

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 बिजली के समस्या के लिये आप Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 पर अपनी बिजली से सबंधित शिकायत कर सकते है। या Torrent Power ऑफिस जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। या उनके ईमेल id पर भी शिकायत कर सकते हो। To,                            Ass.Manager Torrent Power Ltd चद्ररगन रेसिटेंसी,नियर कल्पतरु जेवर्ल्स,शॉप नंबर-234, दिवा ईस्ट । consumerforum@torrentpower.com connect.ahd@torrentpower.com

#महाराष्ट्र के मा.मुख्यमंत्री #एकनाथ शिंदे जी,मेरा बेटे #कृष्णा चव्हाण #कर्नाटक से #ठाणे रेलवे पर स्टेशन आते वक़्त लोकल रेल्वे से उसका एक्सीडेंट में मौत होकर 3 साल गुजर जाने पर भी आज तक इस ग़रीब माता पिता को इंसाफ नही मिला हैं !!

#महाराष्ट्र के मा.मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी,मेरा बेटे कृष्णा चव्हाण #कर्नाटक से ठाणे रेलवे स्टेशन पर आते वक़्त लोकल रेल्वे से उसका एक्सीडेंट में मौत होकर 3 साल गुजर जाने पर भी आज तक इस ग़रीब माता पिता को इंसाफ नही मिला हैं !! आज तक किसी भी रेलवे के तरफ़ से कोई अधिकारी मेरे बेटे के ट्रेन एक्सीडेंट लेकर या कोर्ट केस से संबधित कोई भी इनफार्मेशन मुझे नही दी हैं. मेरे बेटे के मौत को लेकर कोई भी रेलवे डिपार्टमेंट से कानूनी लीगल मदत आज तक नही मिली हैं. #कृष्णा पुनिया चव्हाण को इंसाफ दिलाने के लिए जनता इस न्यूज़ पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और साथ हीं कमेट्स बॉक्स में अपनी राय रखे !!