सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फेक न्यूज की वजह से भड़की उन्मादी भीड़ की हिंसा में पिछले एक साल में 40 लोगों की मौत हो चुकी है।


दिल्ली। पिछले दिनों व्हाट्सएप द्वारा मैसेज भेजने वाली की पहचान उजागर करने से इन्कार किए जाने के बाद अब इस मामले में नई खबर आ रही है। सोशल मीडिया में वायरल हो रही फेक न्यूज देश के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोगों से सोशल मीडिया पर गंदगी ना फैलाने की अपील कर चुके हैं। भारत में फेक न्यूज की वजह से हिंसा के हालात पैदा होने के कारण सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। दरअसल, उच्च सरकारी समिति का सुझाव है कि फेक न्यूज फैलाने के मामले में सोशल मीडिया प्रमुखों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। गुप्त सूचना के मुताबिक, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फेक न्यूज की वजह से भड़की उन्मादी भीड़ की हिंसा में पिछले एक साल में 40 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसके बाद सचिवों की एक समिति ने इस मुद्दे पर चर्चा की। गृह सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयी समिति ने अपनी रिपोर्ट गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह को सौंपी है, जो अपनी सिफारिशें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देगी। एक अधिकारी ने बताया ‘भारत में सभी वैश्विक सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के देश के प्रतिनिधि हैं। अगर ये अपनी साइट से आपत्तिजनक सामग्री और वीडियो नहीं हटाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने अलग-अलग राज्यों में सामने आए उन्मादी भीड़ की हिंसा, सांप्रदायिक तनाव के मामलों में जांच के दौरान इसमें इंटरनेट प्लैटफॉर्म्स की भूमिका पर चर्चा की थी।ट्विटर इंडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब के प्रतिनिधियों के साथ हाल की बैठकों के दौरान सरकारी अधिकारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर जारी निर्देशों का बिना देरी के पालन करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो उनके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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