सवार क्रांति के दौर में लगातार कम हो रहा है डाकिए का मतल चिट्ठी ना कोई संदेश डाकिया डॉग लाया व डाकिया रे कागज लिख दे जैसे तरीके से उस वक्त गीत का दौर गाया स्पष्ट बयान करते हैं जब, डॉग विभाग से आम लोग में परिवार जैसा नाता होता था लेकिन अब तो बात नहीं रही आज के तकनीकी युग ने डाक तार विभाग के कार्य को काफी प्रभावित किया हुआ है और बाकी के हाथ में सरकारी व व्यापारिक पत्र ही अधिक नजर आते हैं, पहले लोग डाकिए का इंतजार करते थे घरों के बाहर बैठकर अब वह वक्त जा चुका है जब से नई क्रांति आई है
डाक दिवस का इतिहास
पूरे विश्व में डाक दिवस 9 अक्टूबर को मनाया जाता है 9 अक्टूबर 18 74 को 22 देशों द्वारा संधि का गठन कर यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का गठन किया गया था इस संधि का उद्देश्य डाक तार विभाग को और बेहतर बनाना था भारत 1 अप्रैल 1879 को यूनियन का सदस्य बना आज पूरे विश्व में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है
राष्ट्रीय डाक सप्ताह
भारतीय डाक विभाग के अनुसार 9 से 14 अक्टूबर के बीच विश्व डाक सप्ताह मनाया जाता है राष्ट्रीय डाक सप्ताह मनाने का उद्देश्य आज काल को भारतीय डाक विभाग के योगदान से अवगत कराना सप्ताह के हर दिन अलग-अलग दिवस मनाए जाते हैं तो को सेविंग बैंक दिवस 11 अक्टूबर को मेल दिवस 12 अक्टूबर को डाक टिकट संग्रह दिवस 13 अक्टूबर को व्यापार दिवस तथा 14 अक्टूबर को बीमा दिवस मनाया जाता है शेविंग दिवस पर ग्राहकों डाक बचत योजना के बारे में जानकारी दी जाती है
भूली बिसरी यादें
एक समय था जब पोस्टमैन से मिले खत के जरिए लोग अच्छी बुरी सूचनाओं की जानकारी मिलती थी लेकिन,, टेलीग्राम पहुंचने में काफी समय लग जाता था आज के संचार क्रांति के दौर में इसका स्थान इंटरनेट मोबाइल से विभिन्न सोशल साइट्स ने ले लिया है यही कारण है कि इसके प्रति लोगों को कुछ कम हो गया है आगे लोग डाके का इंतजार करते थे
इंटरनेट का जमाना
संचार क्रांति के चलते अब मोबाइल इंटरनेट का जमाना है अब व्यक्ति फोन पर इंटरनेट के माध्यम से तुरंत अपनी बात अपने मिलने वाली तक पहुंचा देते हैं ऐसे में इस प्रकार का पिछले कई वर्षों से डाक विभाग में आना कम हो गया है
, कवि डाकिया था फरिश्ता
अगर कुछ लोग काफी वर्षों पूर्व का की बात करें तो उन दिनों में डाकिया किसी रिश्ते से कम नहीं था ससुराल से विदा हुई लड़की केवल एक अंतर्देशीय पत्र के जरिए अपने मां बाप भाई बहन से जुड़ी रहती थी घर से दूर हुए फौजी भाई भी इस तरह पोस्टकार्ड का इंतजार में टकटकी लगाकर उस रास्ते का निहारते रहते जहां से पोस्टमैन अपने साइकिल पर सवार होकर पोटली बाबा की तरह चिट्ठे में भरी एक पोटली लगता आज के मोबाइल के दौर में उस वक्त की खुशी का अंदाजा भी लगाना मुश्किल है खाते ऐसा जरिया होते हैं जिसकी सारे व्यक्ति अपनी को याद को याद में गुजारता है
15,,, में ऑल इंडिया डाक
क्रांति ने चाहे डाक विभाग को प्रभावित किया है लेकिन फिर भी डाक विभाग में पत्राचार करके रास्ता साधन कोई नहीं है आज की महंगाई भरे युग में भी डाक विभाग 50 ग्राम से कम वजन का अखबार प्रस्तुत 15 पैसे में तथा 100ग्राम वजन का अखबार व पुस्तक 25 पैसे में पूरे देश में वितरित कर रहा है यह मूल्य पिछले कई वर्षों से नहीं बढ़ाया गया है
, सरकारी पत्र वे बिल ज्यादा अगर स्थानीय डॉक्टर विद निकारी की मानें तो अबोहर में रोजाना डाक आती है लेकिन उनमें तो अधिकांश सरकारी डाक ही होती है परिवारिक समाचार देने वाले पत्रता कम लेकिन व्यापारिक पत्र तथा टेलीग्राम विल मोबाइल बिल बीमा रसीद पेंशन पार्सल पुस्तकें समाचार पत्र की ज्यादा होते हैं इन पत्रों में शादी के निमंत्रण पत्र अथवा सूत्रों की संख्या बहुत कम होती है
डाक दिवस का इतिहास
पूरे विश्व में डाक दिवस 9 अक्टूबर को मनाया जाता है 9 अक्टूबर 18 74 को 22 देशों द्वारा संधि का गठन कर यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का गठन किया गया था इस संधि का उद्देश्य डाक तार विभाग को और बेहतर बनाना था भारत 1 अप्रैल 1879 को यूनियन का सदस्य बना आज पूरे विश्व में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है
राष्ट्रीय डाक सप्ताह
भारतीय डाक विभाग के अनुसार 9 से 14 अक्टूबर के बीच विश्व डाक सप्ताह मनाया जाता है राष्ट्रीय डाक सप्ताह मनाने का उद्देश्य आज काल को भारतीय डाक विभाग के योगदान से अवगत कराना सप्ताह के हर दिन अलग-अलग दिवस मनाए जाते हैं तो को सेविंग बैंक दिवस 11 अक्टूबर को मेल दिवस 12 अक्टूबर को डाक टिकट संग्रह दिवस 13 अक्टूबर को व्यापार दिवस तथा 14 अक्टूबर को बीमा दिवस मनाया जाता है शेविंग दिवस पर ग्राहकों डाक बचत योजना के बारे में जानकारी दी जाती है
भूली बिसरी यादें
एक समय था जब पोस्टमैन से मिले खत के जरिए लोग अच्छी बुरी सूचनाओं की जानकारी मिलती थी लेकिन,, टेलीग्राम पहुंचने में काफी समय लग जाता था आज के संचार क्रांति के दौर में इसका स्थान इंटरनेट मोबाइल से विभिन्न सोशल साइट्स ने ले लिया है यही कारण है कि इसके प्रति लोगों को कुछ कम हो गया है आगे लोग डाके का इंतजार करते थे
इंटरनेट का जमाना
संचार क्रांति के चलते अब मोबाइल इंटरनेट का जमाना है अब व्यक्ति फोन पर इंटरनेट के माध्यम से तुरंत अपनी बात अपने मिलने वाली तक पहुंचा देते हैं ऐसे में इस प्रकार का पिछले कई वर्षों से डाक विभाग में आना कम हो गया है
, कवि डाकिया था फरिश्ता
अगर कुछ लोग काफी वर्षों पूर्व का की बात करें तो उन दिनों में डाकिया किसी रिश्ते से कम नहीं था ससुराल से विदा हुई लड़की केवल एक अंतर्देशीय पत्र के जरिए अपने मां बाप भाई बहन से जुड़ी रहती थी घर से दूर हुए फौजी भाई भी इस तरह पोस्टकार्ड का इंतजार में टकटकी लगाकर उस रास्ते का निहारते रहते जहां से पोस्टमैन अपने साइकिल पर सवार होकर पोटली बाबा की तरह चिट्ठे में भरी एक पोटली लगता आज के मोबाइल के दौर में उस वक्त की खुशी का अंदाजा भी लगाना मुश्किल है खाते ऐसा जरिया होते हैं जिसकी सारे व्यक्ति अपनी को याद को याद में गुजारता है
15,,, में ऑल इंडिया डाक
क्रांति ने चाहे डाक विभाग को प्रभावित किया है लेकिन फिर भी डाक विभाग में पत्राचार करके रास्ता साधन कोई नहीं है आज की महंगाई भरे युग में भी डाक विभाग 50 ग्राम से कम वजन का अखबार प्रस्तुत 15 पैसे में तथा 100ग्राम वजन का अखबार व पुस्तक 25 पैसे में पूरे देश में वितरित कर रहा है यह मूल्य पिछले कई वर्षों से नहीं बढ़ाया गया है
, सरकारी पत्र वे बिल ज्यादा अगर स्थानीय डॉक्टर विद निकारी की मानें तो अबोहर में रोजाना डाक आती है लेकिन उनमें तो अधिकांश सरकारी डाक ही होती है परिवारिक समाचार देने वाले पत्रता कम लेकिन व्यापारिक पत्र तथा टेलीग्राम विल मोबाइल बिल बीमा रसीद पेंशन पार्सल पुस्तकें समाचार पत्र की ज्यादा होते हैं इन पत्रों में शादी के निमंत्रण पत्र अथवा सूत्रों की संख्या बहुत कम होती है
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