जब तुम कहते हो कि समय नहीं है,तो तुम असल में यह कह रहे हो कि समय तो है , लेकिन परमात्मा का नंबर आने तक बचता नहीं । वह क्यू में आखिरी खड़ा है । हम करें क्या....? सिनेमा देखने जाना , होटल में बैठना , क्लब में जाना पड़ता है, तो समय है ! मित्रों से मिलना है , शादी-विवाह में जाना है , तो समय है ! और ये ही लोग हैं , जो तुम्हें कभी कहते मिल जाएंगे...ताश खेल रहे हैं ; पूछो : क्या कर रहे हो ? वे कहते हैं,समय काट रहे हैं । समय काटे नहीं कटता , ऐसी घड़ी भी आ जाती है । जब कट-कट कर भी समय न कटे , जब कोई उपाय ही न रह जाए , जब सारा संसार समाप्त हो जाए , क्यू बिलकुल समाप्त ही हो जाए , तब मजबूरी में वे कहते हैं , चलो अब मंदिर चले चलें......!!*
● *ओशो* ●
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