पांच राज्यों के असेम्बली चुनावो के परिणाम के बाद, न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक आलेख लिखा, जिसका यथासम्भव हिंदी अनुवाद किया है !
पांच राज्यों के असेम्बली चुनावो के परिणाम के बाद,
न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक आलेख लिखा, जिसका यथासम्भव हिंदी अनुवाद किया है
भारतीयों द्वारा वोट देने का पैटर्न एक दम साफ है उससे वर्तमान सरकार को सबक सीखना चाहिये...
- भारतीय मतदाता, फिस्कल डेफिसिट नही समझता और उसे, कोई मतलब नही कि ये 2.4% रहे चाहे 3.4%. उन्हें सब्सिडी और फ्री-बी (मुफ्त देने की योजना) की भी समझ नही। उन्हें तो ये भी नही पता कि सब्सिडी और फ्री-बी एक उधार है जिसे एक दिन कोई न कोई चुकायेगा।
भारतीय जनता को GDP रेट से कोई मतलब नही, भले ही पिछले चार सालों में 3.8 से बढ़कर 7.4 हो गया, जो कि अमरीका, ब्रिटेन जापान आदि देशों से आगे है
- भारतीय लोग हमेशा शिकायत करेंगे, सिर्फ प्याज और दाल पर ही नही, डीजल पेट्रोल पर भी। उन्हें चीजे सस्ती भी मिलनी चाहिये और किसानों को भी अच्छी कीमत मिलनी चाहिये।
- भारतीयों के पुरानी आदते सुधारने को मत कहिये, उनकी नजर में ये सरकार का काम है कि हर चीज वही बदले
भारतीयों को लॉन्ग टर्म मुद्दों से कोई लेना देना नही, उन्हें हर चीज आज ही चाहिये, और आज ही नही, अभी के अभी चाहिये
- भारतीयों की यादाश्त कमजोर और उनका दृष्टिकोण बहुत ही संकीर्ण होता है। वो पिछला भूल जाते है और नेताओं के पिछले कुकर्मो को माफ कर देते है
- वो ढीठई से जातिवाद पर वोट करते है और जातिवाद एक मुख्य शत्रु है जो युवाओं का उत्थान नही करता बल्कि लोगों को बांटकर रख देता है... और चीन और पाक जैसे देश, भारतीयों को ही जातिवाद फैलाने का हथियार बनाते हैं क्योंकि, दोनों ही अपने GDP के लिये भारतीय बाजार पर निर्भर हैं
इंडियन रक्षा तंत्र पिछले पांच सालों में बहुत मजबूत हुआ है पाकिस्तान और गल्फ देशों के बनिस्बत, और ये देश, खुल्लम खुल्ला हिंदुस्तान को शासन का निर्देश नही दे सकते, इसलिये वो विध्वंसकारी संगठनों को अरबो खरबो की फंडिंग करते है कि हिंदुस्तान को बर्बाद करो.....
और मोदी ही, इसे कूटनीतिक युद्ध से जीत सकते हैं और
दुख की बात है कि ये बात, भारतीय ही नही समझते
अगर मि. मोदी, अगले 5 महीनों तक लॉन्ग टर्म प्लान फिक्स करने मे रह जाते हैं तो, वो 2019 खो बैठेंगे फिर एक मृत और गिरा सिपाही देश के लिये कुछ नही कर सकता। उन्हें, अगले 5 साल की सरकार बनाने के लिये हर हाल में कठोर बनकर जिंदा रहना होगा। अब उन्हें बचे 5 महीनों में राजनीतिज्ञ बनना पड़ेगा
अगर पब्लिक सस्ता पेट्रोल डीजल चाहती है, तो दीजिये उसे।
अगर किसान कर्जमाफी चाहते है, तो निराश मत कीजिये उन्हें ...
वे 'सबका साथ सबका विकास नही जानते, वे सिर्फ अपने पॉकेट में आये गांधी को जानते हैं
हम, मोदी को सलाह देंगे कि अगले 5 महीने स्टेट्समैनशिप छोड़िये और पॉलिटिशियन बनिये । 2019 की जीत के बाद ही स्टेट्समैन बनिये, क्योंकि भारत का विकास स्टेट्समैन मोदी के अंदर ही हो सकता है, पॉलिटिशियन मोदी के अंदर नही
चुनाव परिणाम आने के बाद आज एक कहानी याद आगई-
बहुत पहले की बात है, एक बंजारा परिवार था। उन्होंने एक नेवला पाला हुआ था। नेवला बहुत वफादार और स्वामिभक्त था। एक दिन घर की महिला पानी भरने गई। पीछे घर मे उसका 1 साल का बच्चा और नेवला रह गया। महिला पानी भरकर वापस आई तो देखा कि नेवला दरवाजे पर बैठा है और उसका मुंह खून से लथपथ है। महिला को लगा कि आज नेवले ने उसके बच्चे को खा लिया। उसने पानी का भरा हुआ घड़ा नेवले के ऊपर पटक दिया। नेवले ने वहीं दम तोड़ दिया। महिला घर के अंदर गई तो देखती है कि बच्चा आराम से सो रहा है और उसके पास एक सांप के टुकड़े पड़े है। महिला मरे हुए नेवले को उठाकर बहुत रोई। लेकिन वो अपने हमदर्द को खो चुकी थी।
ठंडे दिमाग से सोचना कि भाजपा द्वारा देशहित में लिये गये निर्णयों की सजा भाजपा को हमने उस बेकसूर नेवले की तरह तो नहीं दे दी।
जय हिन्द !
न्यू यॉर्क टाइम्स ने एक आलेख लिखा, जिसका यथासम्भव हिंदी अनुवाद किया है
भारतीयों द्वारा वोट देने का पैटर्न एक दम साफ है उससे वर्तमान सरकार को सबक सीखना चाहिये...
- भारतीय मतदाता, फिस्कल डेफिसिट नही समझता और उसे, कोई मतलब नही कि ये 2.4% रहे चाहे 3.4%. उन्हें सब्सिडी और फ्री-बी (मुफ्त देने की योजना) की भी समझ नही। उन्हें तो ये भी नही पता कि सब्सिडी और फ्री-बी एक उधार है जिसे एक दिन कोई न कोई चुकायेगा।
भारतीय जनता को GDP रेट से कोई मतलब नही, भले ही पिछले चार सालों में 3.8 से बढ़कर 7.4 हो गया, जो कि अमरीका, ब्रिटेन जापान आदि देशों से आगे है
- भारतीय लोग हमेशा शिकायत करेंगे, सिर्फ प्याज और दाल पर ही नही, डीजल पेट्रोल पर भी। उन्हें चीजे सस्ती भी मिलनी चाहिये और किसानों को भी अच्छी कीमत मिलनी चाहिये।
- भारतीयों के पुरानी आदते सुधारने को मत कहिये, उनकी नजर में ये सरकार का काम है कि हर चीज वही बदले
भारतीयों को लॉन्ग टर्म मुद्दों से कोई लेना देना नही, उन्हें हर चीज आज ही चाहिये, और आज ही नही, अभी के अभी चाहिये
- भारतीयों की यादाश्त कमजोर और उनका दृष्टिकोण बहुत ही संकीर्ण होता है। वो पिछला भूल जाते है और नेताओं के पिछले कुकर्मो को माफ कर देते है
- वो ढीठई से जातिवाद पर वोट करते है और जातिवाद एक मुख्य शत्रु है जो युवाओं का उत्थान नही करता बल्कि लोगों को बांटकर रख देता है... और चीन और पाक जैसे देश, भारतीयों को ही जातिवाद फैलाने का हथियार बनाते हैं क्योंकि, दोनों ही अपने GDP के लिये भारतीय बाजार पर निर्भर हैं
इंडियन रक्षा तंत्र पिछले पांच सालों में बहुत मजबूत हुआ है पाकिस्तान और गल्फ देशों के बनिस्बत, और ये देश, खुल्लम खुल्ला हिंदुस्तान को शासन का निर्देश नही दे सकते, इसलिये वो विध्वंसकारी संगठनों को अरबो खरबो की फंडिंग करते है कि हिंदुस्तान को बर्बाद करो.....
और मोदी ही, इसे कूटनीतिक युद्ध से जीत सकते हैं और
दुख की बात है कि ये बात, भारतीय ही नही समझते
अगर मि. मोदी, अगले 5 महीनों तक लॉन्ग टर्म प्लान फिक्स करने मे रह जाते हैं तो, वो 2019 खो बैठेंगे फिर एक मृत और गिरा सिपाही देश के लिये कुछ नही कर सकता। उन्हें, अगले 5 साल की सरकार बनाने के लिये हर हाल में कठोर बनकर जिंदा रहना होगा। अब उन्हें बचे 5 महीनों में राजनीतिज्ञ बनना पड़ेगा
अगर पब्लिक सस्ता पेट्रोल डीजल चाहती है, तो दीजिये उसे।
अगर किसान कर्जमाफी चाहते है, तो निराश मत कीजिये उन्हें ...
वे 'सबका साथ सबका विकास नही जानते, वे सिर्फ अपने पॉकेट में आये गांधी को जानते हैं
हम, मोदी को सलाह देंगे कि अगले 5 महीने स्टेट्समैनशिप छोड़िये और पॉलिटिशियन बनिये । 2019 की जीत के बाद ही स्टेट्समैन बनिये, क्योंकि भारत का विकास स्टेट्समैन मोदी के अंदर ही हो सकता है, पॉलिटिशियन मोदी के अंदर नही
चुनाव परिणाम आने के बाद आज एक कहानी याद आगई-
बहुत पहले की बात है, एक बंजारा परिवार था। उन्होंने एक नेवला पाला हुआ था। नेवला बहुत वफादार और स्वामिभक्त था। एक दिन घर की महिला पानी भरने गई। पीछे घर मे उसका 1 साल का बच्चा और नेवला रह गया। महिला पानी भरकर वापस आई तो देखा कि नेवला दरवाजे पर बैठा है और उसका मुंह खून से लथपथ है। महिला को लगा कि आज नेवले ने उसके बच्चे को खा लिया। उसने पानी का भरा हुआ घड़ा नेवले के ऊपर पटक दिया। नेवले ने वहीं दम तोड़ दिया। महिला घर के अंदर गई तो देखती है कि बच्चा आराम से सो रहा है और उसके पास एक सांप के टुकड़े पड़े है। महिला मरे हुए नेवले को उठाकर बहुत रोई। लेकिन वो अपने हमदर्द को खो चुकी थी।
ठंडे दिमाग से सोचना कि भाजपा द्वारा देशहित में लिये गये निर्णयों की सजा भाजपा को हमने उस बेकसूर नेवले की तरह तो नहीं दे दी।
जय हिन्द !
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