*प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है*
*1-: प्रकृति का पहला नियम*
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे *घास-फूस* से भर देती हैं...!!
ठीक उसी तरह से दिमाग में *सकारात्मक* विचार न भरे जाएँ तो *नकारात्मक* विचार अपनी जगह बना ही लेती है...!!
*2-: प्रकृति का दूसरा नियम*
जिसके पास जो होता है...!!
*वह वही बांटता है....!!*
सुखी *सुख* बांटता है...
दुःखी *दुःख* बांटता है..
ज्ञानी *ज्ञान* बांटता है..
भ्रमित *भ्रम* बांटता है..
भयभीत *भय* बांटता हैं......!!
*3-: प्रकृति का तिसरा नियम*
आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि *भोजन* न पचने पर रोग बढते है...!
पैसा न *पचने* पर दिखावा बढता है...!
बात न *पचने* पर चुगली बढती है...!
प्रशंसा न *पचने* पर अंहकार बढता है....!
निंदा न *पचने* पर दुश्मनी बढती है...!
राज न *पचने* पर खतरा बढता है...!
दुःख न *पचने* पर निराशा बढती है...!
और सुख न *पचने* पर पाप बढता है...!
*बात कड़वी बहुत है पर सत्य है
*1-: प्रकृति का पहला नियम*
यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे *घास-फूस* से भर देती हैं...!!
ठीक उसी तरह से दिमाग में *सकारात्मक* विचार न भरे जाएँ तो *नकारात्मक* विचार अपनी जगह बना ही लेती है...!!
*2-: प्रकृति का दूसरा नियम*
जिसके पास जो होता है...!!
*वह वही बांटता है....!!*
सुखी *सुख* बांटता है...
दुःखी *दुःख* बांटता है..
ज्ञानी *ज्ञान* बांटता है..
भ्रमित *भ्रम* बांटता है..
भयभीत *भय* बांटता हैं......!!
*3-: प्रकृति का तिसरा नियम*
आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो क्योंकि *भोजन* न पचने पर रोग बढते है...!
पैसा न *पचने* पर दिखावा बढता है...!
बात न *पचने* पर चुगली बढती है...!
प्रशंसा न *पचने* पर अंहकार बढता है....!
निंदा न *पचने* पर दुश्मनी बढती है...!
राज न *पचने* पर खतरा बढता है...!
दुःख न *पचने* पर निराशा बढती है...!
और सुख न *पचने* पर पाप बढता है...!
*बात कड़वी बहुत है पर सत्य है
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