कोई भी पत्नी, अपने पति को मां-बाप से दूर रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकती, जानें कानून।*

कोई भी पत्नी अपने पति को मां-बाप से अलग रहने को मजबूर नहीं कर सकती। यदि पत्नी ऐसा करती है तो पति उसे तलाक दे सकता है।*

➡ सुप्रीम कोर्ट एक ऐसे मामले में फैसला सुना चुका है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि हिन्दू लॉ के मुताबिक कोई भी महिला किसी भी बेटे को उसके मां-बाप के प्रति पवित्र दायित्वों के निर्वहन से मना नहीं कर सकती। एक महिला शादी के बाद पति के परिवार की सदस्य बन जाती है। वह इस आधार पर पति को परिवार से अलग नहीं कर सकती कि वो पति की आय का पूरा उपभोग नहीं कर पा रही है। कोर्ट ने कर्नाटक के एक दंपत्ति के तलाक की अर्जी को मंजूरी देते हुए ये टिप्पणी की थी।

• सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट में लिखा था कि भारत में हिन्दू परिवारों में न तो यह सामान्य बात है और न ही प्रचलन में है कि कोई भी बेटा अपनी पत्नी के कहने पर शादी के बाद बूढ़े मां-बाप को छोड़ दे। एक बेटे को मां-बाप सिर्फ जन्म ही नहीं देते बल्कि परवरिश भी करते हैं। पढ़ाते-लिखाते हैं। ऐसे में बेटे की भी नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी बनती है कि वे वृद्ध माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी ले।

*♦ऐसा करना क्रूरता के श्रेणी में आएगा।*

• हाईकोर्ट एडवोकेट संजय मेहरा का कहना है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत यदि पत्नी ऐसा करती है तो यह क्रूरता की श्रेणी में आएगा। किसी को भोजन नहीं देना, अश्लील बातें करना, मारना-पीटना या मानसिक तौर पर परेशान करना भी क्रूरता में आता है। यह तलाक का एक आधार हो सकता है।

• यदि पति अपने मां-बात की सेवा करना चाहता है तो पत्नी उसे मजबूरन मां-बाप से अलग नहीं कर सकती। वहीं यदि बेटा भी मां-बाप के साथ रहना नहीं चाहता तो मां-बता उसे साथ रहने के लिए जबरन नहीं कह सकते लेकिन वृद्ध मां-बाप बेटे से भरण-पोषण की मांग जरूर कर सकते हैं। यह उनका अधिकार है।

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