संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त संवैधानिक अधिकार है क्योंकि जेल में रहने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है ! उच्च न्यायालय !
उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि मुख्य आवेदन के निपटारा होने तक कोई व्यक्ति अंतरिम जमानत का हकदार है जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त संवैधानिक अधिकार है क्योंकि जेल में रहने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है।
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काट्जू और न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की पीठ ने एक आदेश में कहा कि हम यह बात दोहराना चाहते हैं कि जमानत देने की शक्ति में जमानत याचिका के अंतिम निपटारे तक अंतरिम जमानत देने की शक्ति अंतर्निहित है।
पीठ ने कहा कि ऐसा संविधान के अनुच्छेद 21 के मद्देनजर है जो हर व्यक्ति को प्रतिष्ठा के अधिकार की गारंटी देता है।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश आरोपी बलबीरसिंह की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। उसने आपराधिक मामले में सत्र अदालत और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी थी
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काट्जू और न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की पीठ ने एक आदेश में कहा कि हम यह बात दोहराना चाहते हैं कि जमानत देने की शक्ति में जमानत याचिका के अंतिम निपटारे तक अंतरिम जमानत देने की शक्ति अंतर्निहित है।
पीठ ने कहा कि ऐसा संविधान के अनुच्छेद 21 के मद्देनजर है जो हर व्यक्ति को प्रतिष्ठा के अधिकार की गारंटी देता है।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश आरोपी बलबीरसिंह की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। उसने आपराधिक मामले में सत्र अदालत और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी थी
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