एलेन पो कोई ज्‍योतिष या चमत्‍कारी संत नहीं था। फिर चार साल बाद घटने वाली उस घटना का जिक्र उसने अपने उपन्‍यास में कैसे कर दिया ?

Unbelievable  but true सारे विश्‍व का एक ताना-बान- डरावने उपन्‍यास लिखने के लिए जगत प्रसिद्ध लेखक एड़गर एलेन पो ने एक उपन्‍यास लिखा ‘’दि नेरेटिव ऑफ गॉर्डन’’ इस कहानी में एक समुद्री जहाज डूब जाता है। और बचते है मात्र चार लोग। तीन जहाज के वरिष्‍ठ नाविक थे और एक रिचर्ड पार्कर नामक युवा सहायक। एक खुली नाव में वे चारों भूखे प्‍यासे कई दिनों तक समुद्र में भटकते रहे। अंत में भूख से तंग आकर तीनों नाविक रिचर्ड पार्कर को मार कर खा लेते है। एक उपन्‍यास 1880 में प्रकाशित हुआ।
       वर्ष 1884 में मायोनेट नामक एक समुद्री जहाज डूब गया और केवल चार लोग बचे। जब कई दिनों बाद उनकी समुद्र में तैरती नाव मिली। तीन नाविक अपने एक सहायक को मार कर खा चुके थे। इस सहायक का नाम था रिचर्ड पार्कर।
     यह कैसा संयोग है? एलेन पो कोई ज्‍योतिष या चमत्‍कारी संत नहीं था। फिर चार साल बाद घटने वाली उस घटना का जिक्र उसने अपने उपन्‍यास में कैसे कर दिया? क्‍या उसकी कल्‍पना ने भविष्‍य का निर्माण किया? अथवा भविष्‍य में घटने वाली उस घटना की अदृश्‍य तरंगें उसकी कल्‍पना में उतर आई?
       सापेक्षवाद के अनुसार भूत, भविष्‍य और वर्तमान सभी एक दूसरे से जूड़े हुए है। सारे विश्‍व का एक ही ताना-बाना है। पूरा जगत अंर्तसंबद्ध है। osho

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