Mumbai Crime Page : सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी यानी SEBI) ने सालाना बोर्ड बैठक में बड़े फैसले लिए हैं. उसने निवेशकों को कंपनियों से सीधे शिकायत करने की इजाजत दे दी है. अब निवेशक सेबी के स्कोर्स (SCORES) प्लेटफॉर्म के माध्यम से कंपनियों को सीधे शिकायत कर सकेंगे. यह प्रावधान निवेशकों की शिकायत पर जल्द फैसले लेने के हिसाब से किया गया है.
जून 2011 में शुरू किया गया स्कोर्स वेब आधारित केंद्रीकृत व्यवस्था है. इसमें निवेशक की तरफ से सूचीबद्ध कंपनियों और मध्यस्थ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. इसका पूरा नाम कम्प्लेन रेड्रेस सिस्टम (शिकायत निबटान प्रणाली) है.
जून 2011 में शुरू किया गया स्कोर्स वेब आधारित केंद्रीकृत व्यवस्था है. इसमें निवेशक की तरफ से सूचीबद्ध कंपनियों और मध्यस्थ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. इसका पूरा नाम कम्प्लेन रेड्रेस सिस्टम (शिकायत निबटान प्रणाली) है.
सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि इस बारे में कोटक समिति की सिफारिशों को अंशतः स्वीकार करने का फैसला लिया गया है. सेबी द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है, 'सेबी को सूचीबद्ध कंपनियों और मध्यस्थ से सुझाव मिला था कि निवेशकों की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की व्यवस्था होनी चाहिए. अगर शिकायत पहली बार में संबंधित कंपनी के पास पहुंच जाए तो इसका निपटान जल्दी किया जा सकेगा.'
अगर निवेशक किसी सूचीबद्ध कंपनी को सीधे शिकायत करता है तो उस शिकायत से संबंधित दस्तावेज और उस पर कार्रवाई में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है. अगर संबंधित कंपनी या मध्यस्थ के जरिए शिकायत का समाधान नहीं निकलता है तो निवेशक स्कोर्स के माध्यम से शिकायत कर सकता है.
सर्कुलर के मुताबिक, पहली अगस्त से जो निवेशक स्कोर्स पर शिकायत दर्ज करेंगे, उन्हें इस प्लेटफ़ॉर्म पर खुद को रजिस्टर करना होगा, रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होगा और पैन, मोबाइल नम्बर जैसी जरूरी जानकारी देनी होगी. इसके बाद उनके लिए एक यूनिक आईडी और पासवर्ड जेनरेट होगा.
सेबी ने कहा है, 'यहां कंपनियों को 30 दिन में निवेशक की शिकायत का निपटारा करना होगा.' निवेशक कंपनी या मध्यस्थ से शिकायत करने और संतोषजनक हल नहीं निकल पाने के बाद तीन साल के अंदर स्कोर्स पर शिकायत कर सकते हैं.
क्या है सेबी की स्कोर्स व्यवस्था?
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने ग्राहकों की शिकायतों का बेहतर तरीके से निपटान करने के लिए स्कोर्स व्यवस्था लागू की है. इसके तहत कंपनियों की तरफ से निवेशकों के लिए उठाए जा रहे कदमों की निगरानी भी की जा सकेगी.
सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करने वाले लोगों को स्कोर्स के जरिये सीधे सेबी तक अपनी आवाज पहुंचाने की सुविधा मिलेगी. अगर कंपनियां या मध्यस्थ शिकायत का निपटारा नहीं कर पाते हैं तो ग्राहक सेबी से शिकायत कर सकते हैं.
SCORES के तहत शिकायत करने वाले सभी ग्राहकों की जानकारी का डाटाबैंक तैयार किया जाता है. कंपनियों ने कम्प्लेन पर क्या कदम उठाए हैं, इसकी भी स्कोर्स में निगरानी संभव है. इसके लिए सभी सूचीबद्ध कंपनियों व स्टॉक एक्सचेंज को स्कोर्स आइडी हासिल करनी होती है.
निवेशकों की शिकायत का समय पर समाधान नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है. सेबी ने साफ तौर पर कहा है कि अगर तय समय सीमा में ग्राहकों की शिकायतों का समाधान नहीं होता है तो कंपनी के निदेशक मंडल व निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
जून 2011 में शुरू किया गया स्कोर्स वेब आधारित केंद्रीकृत व्यवस्था है. इसमें निवेशक की तरफ से सूचीबद्ध कंपनियों और मध्यस्थ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. इसका पूरा नाम कम्प्लेन रेड्रेस सिस्टम (शिकायत निबटान प्रणाली) है.
जून 2011 में शुरू किया गया स्कोर्स वेब आधारित केंद्रीकृत व्यवस्था है. इसमें निवेशक की तरफ से सूचीबद्ध कंपनियों और मध्यस्थ के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. इसका पूरा नाम कम्प्लेन रेड्रेस सिस्टम (शिकायत निबटान प्रणाली) है.
सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि इस बारे में कोटक समिति की सिफारिशों को अंशतः स्वीकार करने का फैसला लिया गया है. सेबी द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है, 'सेबी को सूचीबद्ध कंपनियों और मध्यस्थ से सुझाव मिला था कि निवेशकों की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की व्यवस्था होनी चाहिए. अगर शिकायत पहली बार में संबंधित कंपनी के पास पहुंच जाए तो इसका निपटान जल्दी किया जा सकेगा.'
अगर निवेशक किसी सूचीबद्ध कंपनी को सीधे शिकायत करता है तो उस शिकायत से संबंधित दस्तावेज और उस पर कार्रवाई में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है. अगर संबंधित कंपनी या मध्यस्थ के जरिए शिकायत का समाधान नहीं निकलता है तो निवेशक स्कोर्स के माध्यम से शिकायत कर सकता है.
सर्कुलर के मुताबिक, पहली अगस्त से जो निवेशक स्कोर्स पर शिकायत दर्ज करेंगे, उन्हें इस प्लेटफ़ॉर्म पर खुद को रजिस्टर करना होगा, रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरना होगा और पैन, मोबाइल नम्बर जैसी जरूरी जानकारी देनी होगी. इसके बाद उनके लिए एक यूनिक आईडी और पासवर्ड जेनरेट होगा.
सेबी ने कहा है, 'यहां कंपनियों को 30 दिन में निवेशक की शिकायत का निपटारा करना होगा.' निवेशक कंपनी या मध्यस्थ से शिकायत करने और संतोषजनक हल नहीं निकल पाने के बाद तीन साल के अंदर स्कोर्स पर शिकायत कर सकते हैं.
क्या है सेबी की स्कोर्स व्यवस्था?
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने ग्राहकों की शिकायतों का बेहतर तरीके से निपटान करने के लिए स्कोर्स व्यवस्था लागू की है. इसके तहत कंपनियों की तरफ से निवेशकों के लिए उठाए जा रहे कदमों की निगरानी भी की जा सकेगी.
सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करने वाले लोगों को स्कोर्स के जरिये सीधे सेबी तक अपनी आवाज पहुंचाने की सुविधा मिलेगी. अगर कंपनियां या मध्यस्थ शिकायत का निपटारा नहीं कर पाते हैं तो ग्राहक सेबी से शिकायत कर सकते हैं.
SCORES के तहत शिकायत करने वाले सभी ग्राहकों की जानकारी का डाटाबैंक तैयार किया जाता है. कंपनियों ने कम्प्लेन पर क्या कदम उठाए हैं, इसकी भी स्कोर्स में निगरानी संभव है. इसके लिए सभी सूचीबद्ध कंपनियों व स्टॉक एक्सचेंज को स्कोर्स आइडी हासिल करनी होती है.
निवेशकों की शिकायत का समय पर समाधान नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है. सेबी ने साफ तौर पर कहा है कि अगर तय समय सीमा में ग्राहकों की शिकायतों का समाधान नहीं होता है तो कंपनी के निदेशक मंडल व निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
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