Skip to main content

कोई कर्मचारी रिटायर हो जाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि नौकरी में रहते हुए उसने अगर कोई ग़लती की है तो अथॉरिटी उसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने को कहा कि अगर कोई कर्मचारी रिटायर हो जाता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि नौकरी में रहते हुए उसने अगर कोई ग़लती की है तो अथॉरिटी उसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। 
न्यायमूर्ति आरएम बोर्डे और न्यायमूर्तिएनजे जमदार ने रिटायर हुए एक पूर्व न्यायिक अधिकारी को कोई भी राहत देने से मना कर दिया। जज का दर्जा ज़िला जज का था और उन्होंने अपने ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई को जारी रखने को चुनौती दी है। 
पृष्ठभूमि याचिकाकर्ता जूनियर डिविज़न में दीवानी जज के कैडर में 7 सितम्बर 1992 में प्रवेश लिया। 
अक्टूबर 2011 में उनको ज़िला जज के रूप में प्रोन्नति दी गई। अक्टूबर 2016 में याचिकाकर्ता को राष्ट्रीय राजमार्ग अधिकरण का पीठासीन अधिकारी बनाया गया। 
उन्होंने 25 अक्टूबर 2016 को बॉम्बे हाईकोर्ट से इस पद पर ज्वाइन करने के लिए अनुमति माँगी। याचिकाकर्ता के अनुसार, रजिस्ट्रार जनरल से उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला और 3 दिसम्बर 2016 को उन्होंने स्वैच्छिक अवकाश के लिए आवेदन दिया। इस बीच 7 दिसम्बर 2016 को हाईकोर्ट के प्रशासनिक प्रभाग ने उनके ख़िलाफ़ महाराष्ट्र सिविल सर्विसेज़ (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1979 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया। 
सरकारी निर्णय के द्वारा 13 जनवरी 2017 को स्वैच्छिक अवकाश के उनके आवेदन को स्वीकार कर लिया गया पर इस शर्त के साथ कि उनके ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी रहेगी। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी। हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने 11 सितम्बर 2017 को उनकी याचिका ख़ारिज कर दी और कहा कि याचिकाकर्ता ने ख़ुद ही इन शर्तों को माना है और इसी वजह से उन्होंने अपना चार्ज सौंप दिया।
 याचिकाकर्ता ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका ख़ारिज कर दी और आदेश दिया कि उनके ख़िलाफ़ जाँच को इस आदेश की तिथि से छह माह के भीतर पूरी की जाए।
 अंत में याचिकाकर्ता ने अपने ख़िलाफ़ कार्रवाई को जाँच अधिकारी के समक्ष चुनौती दी जिन्होंने इसे हाईकोर्ट जैसी दलील देते हुए अस्वीकार कर दिया।
 इसके बाद याचिकाकर्ता ने दुबारा इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में आवेदन दिया। फ़ैसला आरएस आपटे ने याचिकाकर्ता की पैरवी की जबकि अमित बोरकर ने हाईकोर्ट की पैरवी की तथा राज्य की पैरवी एजीपी केआर कुलकर्णी ने किया। 
अदालत ने हाईकोर्ट की 11 सितम्बर 2017 की दलील पर ग़ौर करते हुए कहा था कि खंडपीठ ने इस बात पर ग़ौर किया कि याचिकाकर्ता रिटायर हो गई हैं और अनुशासनात्मक कार्रवाई से अधिक से अधिक यह होगा कि पेंशन नियम, 1982 के नियम 27 के तहत उनकी पेंशन रोकी जा सकती है। 
इस तरह खंडपीठ ने कर्मचारी-नियोक्ता संबंधों के टूटने के परिणाम के पक्ष पर ग़ौर किया है। हमारी राय में, याचिकाकर्ता को जाँच अधिकारी के पास नहीं जाना चाहिए था और न ही बाद में इस अदालत के समक्ष। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता ने ख़ुद ही स्वैच्छिक रूप से रिटायर होने के आदेश को स्वीकार किया है।
 जिसके साथ अनुशासनात्मक कार्रवाई की यह शर्त जुड़ी हुई थी"। अंत में कोर्ट ने कहा, "पेंशन प्राप्त करने का एक आधार यह है कि कर्मचारी का आचरण अच्छा होगा और अगर पेंशनप्राप्तकर्ता को दुराचरण या सेवा के दौरान अपने कर्तव्यों की उपेक्षा का दोषी पाया जाता है तो उसका पेंशन रोका जा सकता है या उसे वापस लिया जा सकता है/ इसलिए किसी कर्मचारी का रिटायर हो जाने का मतलब यह नहीं है कि नौकरी की अवधि के दौरान उसके दुराचरण के लिए उसके ख़िलाफ़ नियुक्तिकर्ता अथॉरिटी कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
 पर इस कार्रवाई की प्रकृति पेंशन को रोकने या उसको वापस लेने तक ही सीमित हो सकती है।" अदालत ने यह कहते हुए याचिका ख़ारिज कर दी।

Comments

Popular posts from this blog

पहले सेक्स की कहानी, महिलाओं की जुबानी.

क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता।                                                        महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खु‍शकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहन...

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 !!

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 बिजली के समस्या के लिये आप Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 पर अपनी बिजली से सबंधित शिकायत कर सकते है। या Torrent Power ऑफिस जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। या उनके ईमेल id पर भी शिकायत कर सकते हो। To,                            Ass.Manager Torrent Power Ltd चद्ररगन रेसिटेंसी,नियर कल्पतरु जेवर्ल्स,शॉप नंबर-234, दिवा ईस्ट । consumerforum@torrentpower.com connect.ahd@torrentpower.com

Veer Sawarkar BMC Hospital Time Table !! वीर सावरकर सरकारी मुलुंड हॉस्पिटल डॉक्टर का टाइम टेबल !!

       !! Swatantrya veer V.D.Sawarkar !! !! BMC Hospital Veer Savarkar Hospital !! Mahatma Phule Road Hanuman Chowk, Mulund East, Hanuman Chowk, Mulund West, Mumbai, Maharashtra 400081 Open now:    Open 24 hours mcgm.gov.in 022 2163 6225