तनाव से तुरंत मुक्ति का अदभुत प्रयोग !

                             रेचक और कुंभक

तनाव से तुरंत मुक्ति का अदभुत प्रयोग

पतंजलि कहते हैं : बारी - बारी से श्वास बाहर निकलने और रोकने द्वारा भी मन शांत होता है।

     जब कभी तुम अनुभव करते हो कि मन शांत नहीं है, वह तनावपूर्ण है, चिंतित है, शोर से भरा है, निरंतर सपने देख रहा है, तो एक काम करना —पहले गहरी श्वास छोड़ना। सदा प्रारंभ करना श्वास छोड़ने द्वारा ही। जितना हो सके उतनी गहराई से श्वास छोड़ना, वायु बाहर फेंक देना। वायु बाहर फेंकने के साथ ही मनोदशा भी बाहर फेंक दी जाएगी, श्वसन ही सबकुछ है।
     जितना संभव हो श्वास को बाहर निकाल देना। पेट को भीतर खींचना और उसी तरह बने रहना कुछ सैकेंड के लिए, श्वास मत लेना। फिर शरीर को श्वास लेने देना। गहराई से श्वास भीतर लेना, जितना तुमसे हो सके। फिर दोबारा ठहर जाना कुछ सैकेंड के लिए। यह अंतराल उतना ही होना चाहिए जितना श्वास छोड़ने के बाद तुम बनाए रखते हो। यदि तुम श्वास छोड़ने के बाद तीन सैकेंड के लिए रूकते हो, तो श्वास को भीतर लेकर भी तीन सैकेंड के लिए रूको। श्वास बाहर फेंको और रूके रहो तीन सैकेंड तक, श्वास भीतर लो और रूके रहो तीन सैकेंड तक। लेकिन श्वास पूर्णतया बाहर फेंक देना होता है। समग्रता से श्वास छोड़ो और समग्रता से श्वास लो, और एक लय बना लो। श्वास खींचने के बाद रूके रहना, श्वास छोड़ने के बाद रूके रहना। तुरंत तुम अनुभव करोगे कि एक परिवर्तन तुम्हारे संपूर्ण अस्तित्व में उतर रहा है। वह मनोदशा जा चुकी होगी। एक नई आबोहवा तुममें प्रवेश कर चुकी होगी।
* ओशो

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