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15 जिलों में दूध में मिलावट की जा रही है ! महाराष्ट्र मे यह गेंग सक्रिय !

प्रदेश के 15 जिलों में दूध में मिलावट की जा रही है !
खादय सुरक्षा और औषधी प्रशासन विभाग के लम्बे अरसे से जिले में पदस्थ मिलावट खोरों से प्रगाढ संबंध ! सेंपलिंग की जाने की जानकारी मिलावटखोरों को भी पहले वर्षों से चल रहे मिलावटी तेल, नकली चांवल, मिलावटी दूध  दूध डेयरीयों में सेंपलिंग की कार्यवाही भगवान भरोसे.
आनंद ताम्रकार बालाघाट 22 जुलाई अभी तक  एसटीएफ के विशेष जांच दल द्वारा प्रदेश में बिक्री किये जा रहे मिलावटी दूध के कारोबार में दबिश देकर प्रदेश में चल रहे मिलावटी दूध के कारोबार का भण्डाफोड किया है। जो दूध सेहतमंद बताया जा रहा है उसमें घातक रसायन मिलाये जाने के तथ्य उजागर हुये है जो की हमारे शरीर के लिये नुकसानदेह है।
नेशनल मिल्क सर्वे एवं भारतीय खादय संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है की प्रदेश के 15 जिलों में दूध में मिलावट की जा रही है। मिलावटी खोरी में प्रदेश के ग्वालियर उज्जैन मुरैना इंदौर खरगोन धार रतलाम अशोकनगर भिंड होशंगाबाद खण्डवा, बुरहानपुर बडवानी सिवनी सहित बालाघाट जिला भी षामिल है।
रिपोर्ट में बताया गया है की दूध के उत्पादन एवं उसकी खपत में 50 करोड लीटर का फर्क है। इसकी आड़ में अमुमन घातक रसायन डालकर मिलावटी दूध बनाया जा रहा है। जिसे सिन्थेटिक दूध का नाम दिया गया है। मिलावट का यह सिलसिला दूध ही नही मावा जिसे खोवा भी कहा जाता है तथा पनीर बनाने में भी किया जा रहा है।
रसायन डालकर बनाये गये दूध मावा तथा पनीर के सेवन से किडनी लीवर तथा पेट की समस्या हो सकती है डीटर्जेंट मिलाये जाने से पांचनतंत्र प्रभावित होता है वाईटनर, लीवर और किडनी के लिये घातक है वहीं यूरिया से केंसर होने की संभावना होती है। इसके सेवन से एम्यनू सिस्टम भी प्रभावित होता है इसके कारण शरीर के अंग काम करना बंद कर देते है।
दूध में मिलावट का खेल इतनी बारिकी से हो रहा है की सामान्यत इसकी पहचान करना मुश्किल होता है स्वाद और रंग से इसकी पहचान हो पाती है मिलावटी दूध का स्वाद मीठा होने की बजाय कडुवा लगता है गर्म करने हल्के पीले रंग की बजाये सफेद दिखाई देता है। दूध में सारे वो तत्व पाये जाते है जिनकी हमारे शरीर को जरूरत होती है लेकिन मिलावटी दूध के सेवन से शरीर पर दुश्प्रभाव पडता है। यूरिया कास्टिक सोडा व फोरमेलिन, डिटर्जेंट मिलाकर बनाये गये दूध से व्यक्ति की मौत तक हो सकती है। इस मामले में अब तक 72 आरोपी गिरफतार हो चुके है।
बालाघाट जिले में भी सिंथेटिक दूध और इस दूध से बने खोवा और पनीर बनाये जाने की शिकायत प्राप्त हुई है लेकिन खादय सुरक्षा और औषधी प्रशासन विभाग के लम्बे अरसे से किसी जिले में पदस्थ रहने के कारण मिलावट खोरों से उनके प्रगाढ संबंध बन चुके है सेंपलिंग की जाने की जानकारी मिलावटखोरों को पहले से मिल जाती है। इतना ही नही प्रयोगशाला में भेजे जाने वाले सेंपलिंग को पास करवाकर लाने की भी जिम्मेदारी ये अधिकारी लेते है। तभी तो आज तक कोई बड़ा कारोबारी जिले में पकडा नही गया।
मधुर संबंधों के चलते इस तरफ उनका ध्यान नही है मात्र तीज त्यौहारों के समय दस्तुरी कार्यवाही कर सेंपलिंग ली जाती है जिसका कोई नतीजा नही निकल पाता।
महज खानापूर्ति के चलते बालाघाट जिले में यह गोरखधंधा चलाया जा रहा है। आज तक जिले में कई वर्षों से चल रही दूधडेयरीयों में सेंपलिंग की कार्यवाही नही हुई है क्या कारण है।
सेंपलिंग की आड में की जा रही महज औपचारिकता के चलते मिलावटखोर फायदा उठा रहे है और आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है।
जिला प्रशासन भी जब तक कोई बडी घटना नही घटती तब तक कोई संज्ञान नही लेता।
इन विसंगतियों के चलते मिलावटी तेल, नकली चांवल, मिलावटी दूध जैसी रोज उपयोग की जाने वाली खादय सामग्री में घातक रसायन मिलाकर जहर खिलाया जा रहा है। आम आदमी जिसे खाने लिये मजबूर है।

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