मेहबूबा मुफ्ती पिता के साथ मिलकर अपने खास आतंकवादियों को छुड़वाने के ड्रामे में व्यस्त हो इसलिये आपको घाटी के हिंदुओ का खौफ नही दिखा लेकिन हमें सब याद है !
कश्मीर में ऐसा डर का माहौल मैने पहले कभी नही देखा 30-31 साल की उम्र रही होगी मेहबूबा मुफ्ती की जब 1989/90 में घाटी की सभी मस्जिदों से मूल निवासी हिंदुओ को कश्मीर छोड़कर जाने के ऐलान हो रहे थे । जब रातोंरात हिंदुओ के घरों पर क्रास के निशान लगा दीये गये थे । जब हिंदुओ को अपनी जवान बेटियाँ वहीं छोड़कर जाने के फरमान सुनाये गये थे । जब हजारों हिंदुओ को मु स्लीमो की भीड़ ने काट कर फेंक डाला था । मैडम मेहबूबा 30 साल की उम्र इतनी कम नही होती की आज 60 की उम्र में आपको याद भी नही कि किस डर के माहौल में हिंदुओ ने अपना घर छोड़ा होगा या अपनो को कत्ल होते या अपनी बहनों का बलात्कार होते देखा होगा ! ! ये खौफ का नंगा नाच आपकी उस कश्मीरियत ने ही किया था जिसे बचाने की दुहाई देते हुए कल रात को आप हाथ जोड़ रहीं थी । हो सकता है उस समय आप अपनी बहन का फर्जी अपहरण करवाकर उस समय भारत के गृहमंत्री रहे अपने पिता के साथ मिलकर अपने खास आतंकवादियों को छुड़वाने के ड्रामे में व्यस्त हो इसलिये आपको घाटी के हिंदुओ का खौफ नही दिखा लेकिन हमें सब याद है । मुझे अब्दुल्ला खानदान और मेहबूबा मुफ्ती के चेहरे पर पसरा खौफ उतना ही आकर्षक लग रहा है जितनी आकर्षक मोदीजी की अर्थपूर्ण मुस्कान लगती है ।
खौफ कायम रहे !
खौफ कायम रहे !
Comments