महात्मा गांधी और ओशो की दो बार मुलाक़ात हुई थी। ये प्रसंग दूसरी मुलाक़ात का है। खुद रजनीश ने इसका जिक्र किया है। यह ब्रिटिश इंडिया का वह दौर था जब पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम उफान पर था।
दादी के दिए तीन रुपए लेकर स्टेशन आए थे ओशो, गांधीजी से मिले तो क्या हुआ... उस वक्त ओशो की उम्र करीब दस साल थी। उन्हें ट्रेन देखना था। वे स्टेशन पहुंच गए, उनकी जेब में दादी के दिए 3 रुपए थे। ट्रेन 30 घंटे लेट थी। स्टेशन से सारे लोग वापस जा चुके थे। पर ओशो वहीं बैठे रहे। स्टेशन मास्टर ने उन्हें टोका भी कि तुम सुबह से ही ट्रेन का इंतज़ार कर रहे हो। काफी देर बाद ट्रेन पहुंची और स्टेशन मास्टर ने ओशो को गांधी से मिलवाया। गांधीजी दान पेटी लिए हुए थे। ओशो की जेब में तीन रुपए थे। गांधीजी ने कहा- ये पैसे देश के गरीब लोगों के लिए इस पेटी में डाल दो। कुछ सवाल जवाब के बाद ओशो ने रुपए दान पेटी में डाल दिए। दरअसल, गांधी जी ने कहा था कि ये रुपए गरीब लोगों की मदद कम लिए हैं। रुपए डालने के बाद क्या हुआ?
ओशो ने पेटी में रुपए डाले और गांधीजी के हाथ से पेटी छीन ली। उन्होंने कहा मेरे गांव में बहुत गरीब हैं। मैं उनमें ये पैसे बांट दूंगा। हालांकि, थोड़ी देर बाद रजनीश ने पेटी लौटाते हुए कहा – आप ही रख लीजिए, क्योंकि आप सबसे ज्यादा गरीब हैं, दरिद्र नारायण। बक्सा छिनने पर कस्तूरबा ने क्या कहा था
इस दौरान गांधी जी के साथ कस्तूरबा भी मौजूद थी। बा ने मजाक में कहा - आज आपको बराबरी का कोई मिला। आप लोगों को धोखा देते हो। अब इसने आपका पूरा बॉक्स ही ले लिया। ये बहुत अच्छा हुआ, क्योंकि हमेशा यह बक्सा ढोते-ढोते मैं थक गई।
गांधी जी की मौत पर छिपकर रोए थे रजनीश
ओशो महात्मा गांधी के बहुत बड़े आलोचक माने जाते थे। कहा जाता है कि जिस दिन गांधीजी की हत्या हुई, उस दिन वह छिपकर रोए थे। उनका कहना था कि वह एक ईमानदार व्यक्ति थे।
दादी के दिए तीन रुपए लेकर स्टेशन आए थे ओशो, गांधीजी से मिले तो क्या हुआ... उस वक्त ओशो की उम्र करीब दस साल थी। उन्हें ट्रेन देखना था। वे स्टेशन पहुंच गए, उनकी जेब में दादी के दिए 3 रुपए थे। ट्रेन 30 घंटे लेट थी। स्टेशन से सारे लोग वापस जा चुके थे। पर ओशो वहीं बैठे रहे। स्टेशन मास्टर ने उन्हें टोका भी कि तुम सुबह से ही ट्रेन का इंतज़ार कर रहे हो। काफी देर बाद ट्रेन पहुंची और स्टेशन मास्टर ने ओशो को गांधी से मिलवाया। गांधीजी दान पेटी लिए हुए थे। ओशो की जेब में तीन रुपए थे। गांधीजी ने कहा- ये पैसे देश के गरीब लोगों के लिए इस पेटी में डाल दो। कुछ सवाल जवाब के बाद ओशो ने रुपए दान पेटी में डाल दिए। दरअसल, गांधी जी ने कहा था कि ये रुपए गरीब लोगों की मदद कम लिए हैं। रुपए डालने के बाद क्या हुआ?
ओशो ने पेटी में रुपए डाले और गांधीजी के हाथ से पेटी छीन ली। उन्होंने कहा मेरे गांव में बहुत गरीब हैं। मैं उनमें ये पैसे बांट दूंगा। हालांकि, थोड़ी देर बाद रजनीश ने पेटी लौटाते हुए कहा – आप ही रख लीजिए, क्योंकि आप सबसे ज्यादा गरीब हैं, दरिद्र नारायण। बक्सा छिनने पर कस्तूरबा ने क्या कहा था
इस दौरान गांधी जी के साथ कस्तूरबा भी मौजूद थी। बा ने मजाक में कहा - आज आपको बराबरी का कोई मिला। आप लोगों को धोखा देते हो। अब इसने आपका पूरा बॉक्स ही ले लिया। ये बहुत अच्छा हुआ, क्योंकि हमेशा यह बक्सा ढोते-ढोते मैं थक गई।
गांधी जी की मौत पर छिपकर रोए थे रजनीश
ओशो महात्मा गांधी के बहुत बड़े आलोचक माने जाते थे। कहा जाता है कि जिस दिन गांधीजी की हत्या हुई, उस दिन वह छिपकर रोए थे। उनका कहना था कि वह एक ईमानदार व्यक्ति थे।
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