पहली ट्रांसजेंडर जज स्वातिबिधान बरुआ ने नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) में थर्ड जेंडर का विकल्प न होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की !
अधिकांश किन्नरों को घर से बेघर कर दिया जाता है। इस कारण उनके पास कोई दस्तावेज नहीं होते। इनके पास भी 1971 से पहले के दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हमारी इस याचिका पर जरूर कार्रवाई करेगी।
असम की पहली ट्रांसजेंडर जज स्वातिबिधान बरुआ ने नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) में थर्ड जेंडर का विकल्प न होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंनेकहा कि ट्रांसजेंडरों को एनआरसी में शामिल करने के लिए पुरुष या महिला के विकल्प को चुनने को मजबूर किया गया। करीब 2000 किन्नर एनआरसी से बाहर हैं।
असम की पहली ट्रांसजेंडर जज स्वातिबिधान बरुआ ने नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) में थर्ड जेंडर का विकल्प न होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंनेकहा कि ट्रांसजेंडरों को एनआरसी में शामिल करने के लिए पुरुष या महिला के विकल्प को चुनने को मजबूर किया गया। करीब 2000 किन्नर एनआरसी से बाहर हैं।
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