वासना से भगो मत ! वासना से डरो मत ! वासना को निखारो, शद्ध करो !

           वासना दुश्मन नहीं है। वासना प्रभु का दान है।

इससे शुरू करो।
इसे स्वीकार करो।
इसको अहोभाव से, आनंद भाव से अंगीकार करो।
और इसको कितना सुंदर बना सकते हो, बनाओ।
इससे लड़ो मत।
इसको सजाओ।
इसे मृंगार दो।
इसे सुंदर बनाओ।
इसको और संवेदनशील बनाओ।

अभी तुम्हें स्त्री सुंदर दिखाई पड़ती है, अपनी वासना को इतना संवेदनशील बनाओ कि स्त्री के सौंदर्य में तुम्हें एक दिन परमात्मा का सौंदर्य दिखाई पड़ जाए।
अगर चांदत्तारों में दिखता है तो स्त्री में भी दिखाई पड़ेगा। पड़ना ही चाहिए। अगर चांद तारों में है तो स्त्री में क्यों न होगा ???

स्त्री और पुरुष तो इस जगत की श्रेष्ठतम अभिव्यक्तियां है।

अगर फूलों में है—गूंगे फूलों में—तो बोलते हुए मनुष्यों में न होगा ???
अगर पत्थर पहाड़ों में है—जडु पत्थर—पहाड़ो में — तो चैतन्य मनुष्य में न होगा... संवेदनशील बनाओ।

वासना से भगो मत।
वासना से डरो मत।
वासना को निखारो, शद्ध करो।

यही मेरी पूरी प्रक्रिया है जो मैं यहां तुम्हें दे रहा हूं। वासना को शद्ध करो, निखारो। वासना को प्रार्थनापूर्ण करो। वासना को ध्यान बनाओ। और धीरे धीरे तुम चमत्कृत हो जाओगे कि वासना ही तुम्हें वहां ले आयी, जहां तुम जाना चाहते थे वासना से लड़कर और नहीं जा सकते थे।

मैं कह रहा हूं :
प्रेम तुममें कम है, तुम्हारी वासना बड़ी अधूरी है, अपंग है। तुम्हारी वासना को पंख नहीं है। पंख दो!
तुम्हारी वासना को उड़ना सिखाओ!
तुम्हारी वासना जमीन पर सरक रही है।
मैं कहता हूं: वासना को आकाश में उड़ना सिखाओ।

परमात्मा अगर वासना के द्वारा संसार में उतरा है,
तो तुम वासना की ही सीढ़ी पर चढ़कर परमात्मा तक पहुंचोगे, क्योंकि जिस सीढ़ी से उतरा जाता है उसी से चढ़ा जाता है। फिर तुम्हें दोहरा कर कह दूं।

पुराने शास्त्र कहते हैं :
परमात्मा में वासना जगी कि मैं अनेक होऊं।
अकेला अकेला थक गया होगा।
तुम भीड़ से थक गए हो,
वह अकेला अकेला थक गया था।

वह उतरा जगत में।
तुम भीड़ से थक गए हो,
अब तुम वापिस एकांत पाना चाहते हो,
मोक्ष पाना चाहते हो,
कैवल्य पाना चाहते हो,
ध्यान समाधि पाना चाहते हो।

चढ़ो उसी सीढ़ी से, जिससे परमात्मा उतरा।

इसलिए मैं कहता हूं : संभोग और समाधि एक ही सीढ़ी के दो हिस्से हैं; दिशा का भेद है, और कोई भेद नहीं है।

परमात्मा उतरा है समाधि से संभोग की तरफ,
तो संसार बना है, नहीं तो संसार नहीं बन सकता था।

तुम चलों संभोग से समाधि की तरफ,
तो तुम संसार से मुक्त हो जाओगे।

उसी सीढ़ी से चलना होगा, और कोई सीढ़ी नहीं है।

ओशो
का सोवै दिन रैन--( प्रवचन--04 )

Comments

Popular posts from this blog

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 !!

न्यूड फोटो देकर सुर्खियों मे आई Sherlyn chopra एक बार फिर से चर्चाओं में .