एक आदमी है,जो दावा तो सच बोलने का करता है और आड़ में झूठ बोलता है । जिनको भी झूठ बोलना है उन्हें सच बोलने का दावा करना होता है , नहीं तो उनका झूठ मानेगा कौन ? इसलिए झूठ बोलने वाला बार-बार दोहराता है कि मैं सच कह रहा हूं , मैं बिलकुल सच कह रहा हूं , मैं कसम खाकर कहता
हूं कि सच कह रहा हूं । जब भी कोई आदमी बहुत कसम खाने लगे कि मैं सच कह रहा हूं । तो सावधान हो जाना , क्योंकि यह झूठे का लक्षण है ।
सहज-योग का अर्थ होता है ; – मत करो जटिल । मत बनो झूठ ।
क्योंकि तुम जितने झूठ हो जाओगे उतने ही दुखी हो जाओगे । झूठ दुख लाता है , क्योंकि झूठ के कारण तुम्हारा संबंध सत्य से छूटने लगता है , टूटने लगता है । यह अस्तित्व सत्य है । इसके साथ सत्य हो जाओ तो तुम्हारा संगीत जुड़ जाये , तो तुम्हारी सरगम बैठ जाये ।
अगर तुम झूठ रहे तो तुम अलग-थलग रहोगे ।
झूठ बोलोगे , ज्यादा देर नहीं चल पायेगा । चल ही नहीं सकता ।
झूठ को चलना भी पड़ता है तो सच के पैर उधार लेने पड़ते हैं । और सच के पैर और झूठ की देह , इन दोनो के कारण तुम्हारे जीवन में एक द्वंद्व पैदा हो जाता है । और एक झूठ नहीं हजार झूठ हैं , इसलिए हजार द्वंद्व पैदा हो जाते हैं । इन्हीं द्वंद्वों में ग्रस्त व्यक्ति नर्क में जीता है ।
सहज-योग का अर्थ होता है ; छोडो़ ये द्वंद्व , छोडो़ ये जाल । तुम जैसे हो वैसे अपने को स्वीकार कर लो ।
मत दिखाओ वैसा , जैसे कि तुम नहीं हो । जाने दो सब पाखंड ।
*सहज योग ( सरहपा-तिलोपा वाणी )*
*OSHO*
हूं कि सच कह रहा हूं । जब भी कोई आदमी बहुत कसम खाने लगे कि मैं सच कह रहा हूं । तो सावधान हो जाना , क्योंकि यह झूठे का लक्षण है ।
सहज-योग का अर्थ होता है ; – मत करो जटिल । मत बनो झूठ ।
क्योंकि तुम जितने झूठ हो जाओगे उतने ही दुखी हो जाओगे । झूठ दुख लाता है , क्योंकि झूठ के कारण तुम्हारा संबंध सत्य से छूटने लगता है , टूटने लगता है । यह अस्तित्व सत्य है । इसके साथ सत्य हो जाओ तो तुम्हारा संगीत जुड़ जाये , तो तुम्हारी सरगम बैठ जाये ।
अगर तुम झूठ रहे तो तुम अलग-थलग रहोगे ।
झूठ बोलोगे , ज्यादा देर नहीं चल पायेगा । चल ही नहीं सकता ।
झूठ को चलना भी पड़ता है तो सच के पैर उधार लेने पड़ते हैं । और सच के पैर और झूठ की देह , इन दोनो के कारण तुम्हारे जीवन में एक द्वंद्व पैदा हो जाता है । और एक झूठ नहीं हजार झूठ हैं , इसलिए हजार द्वंद्व पैदा हो जाते हैं । इन्हीं द्वंद्वों में ग्रस्त व्यक्ति नर्क में जीता है ।
सहज-योग का अर्थ होता है ; छोडो़ ये द्वंद्व , छोडो़ ये जाल । तुम जैसे हो वैसे अपने को स्वीकार कर लो ।
मत दिखाओ वैसा , जैसे कि तुम नहीं हो । जाने दो सब पाखंड ।
*सहज योग ( सरहपा-तिलोपा वाणी )*
*OSHO*
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