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आरे कॉलोनी के 27 सो पेंड का हत्यारा कोन !! वृक्ष और पहाड़ हमारी आत्मा का संगीत हैं। इस संगीत को मत काटो !! ओशो !!

आज हम अपनी बात ओशो द्वारा पर्यावरण पर करीब तीस साल पहले दिये गये एक गूढ़ प्रवचन से शुरू करते हैं । ओशो ने कहा था :-
"हम पृथ्वी से केवल लेते हैं, उसे वापस कुछ नहीं लौटाते। प्रकृति एक पूर्ण चक्र है : एक हाथ से लो, तो दूसरे हाथ से दो। इस वर्तुल को तोड़ना ठीक नहीं है। लेकिन हम यही कर रहे हैं -सिर्फ लिये चले जा रहे हैं। इसीलिए सारे स्त्रोत सूखते जा रहे हैं। धरती विषाक्त होती जा रही है। नदियां प्रदूषित हो रही हैं, तालाब मर रहे हैं। हम पृथ्वी से अपना रिश्ता इस तरह से बिगाड़ रहे हैं कि भविष्य में इस पर रह नहीं पाएंगे।
आधुनिक विज्ञान का रवैया जीतने वाला है। वह सोचता है कि धरती और आकाश से दोस्ती कैसी, उस पर तो बस फतह हासिल करनी है। हमने कुदरत का एक करिश्मा तोड़ा, किसी नदी का मुहाना मोड़ दिया, किसी पहाड़ का कुछ हिस्सा काट लिया, किसी प्रयोगशाला में दो-चार बूँद पानी बना लिया और बस प्रकृति पर विजय हासिल कर ली।
जैसे प्लास्टिक को देखो। उसे बना कर सोचा, प्रकृति पर विजय हासिल कर ली। कमाल है, न जलता है, न गीला होता है, न जंग लगती है - महान उपलब्धि है। उपयोग के बाद उसे फेंक देना कितना सुविधाजनक है। लेकिन मिट्टी प्लास्टिक को आत्मसात नहीं करती। एक वृक्ष जमीन से उगता है। मनुष्य जमीन से उगता है। तुम वृक्ष को या मनुष्य को वापस जमीन में डाल दो तो वह अपने मूल तत्वों में विलीन हो जाते हैं। लेकिन प्लास्टिक को आदमी ने बनाया है। उसे जमीन में गाड़ दो और बरसों बाद खोदो तो वैसा का वैसा ही पाओगे।
अमेरिका के आसपास समुद्र का पूरा तट प्लास्टिक के कचरों से भरा पड़ा है। और उससे लाखों मछलियां मर जाती हैं, उसने पानी को जहरीला कर दिया है। पानी की सजीवता मर गई। और यह खतरा बढ़ता जा रहा है कि दिन ब दिन और अधिक प्लास्टिक फेंका जाएगा और पूरा जीवन मर जाएगा।
पर्यावरण का अर्थ है संपूर्ण का विचार करना। भारतीय मनीषा हमेशा 'पूर्ण' का विचार करती है। पूर्णता का अहसास ही पर्यावरण है। सीमित दृष्टि पूर्णता का विचार नहीं कर सकती। एक बढ़ई सिर्फ पेड़ के बारे में सोचता है। उसे लकड़ी की जानकारी है, पेड़ की और कोई उपयोगिता मालूम नहीं है। वे किस तरह बादलों को और बारिश को आकर्षित करते हैं। वे किस तरह मिट्टी को बांध कर रखते हैं। उसे तो अपनी लकड़ी से मतलब है।
वैसी ही सीमित सोच ले कर हम अपने जंगलों को काटते चले गए और अब भुगत रहे हैं। अब आक्सीजन की कमी महसूस हो रही है। वृक्ष न होने से पूरा वातावरण ही अस्तव्यस्त होता जा रहा है। मौसम का क्रम बदलने लगा है और फेफड़ों की बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं।
सुना है कि पुराने जमाने में प्रशिया के राजा फ्रेडरिक ने एक दिन देखा कि खेत-खलिहानों में पक्षी आते हैं और अनाज खा जाते हैं। वह सोचने लगा कि ये अदना से पंछी पूरे राज्य में लाखों दाने खा जाते होंगे। इसे रोकना होगा। तो उसने राज्य में ऐलान कर दिया कि जो भी पक्षियों को मारेगा उसे इनाम दिया जाएगा। बस प्रशिया के सारे नागरिक शिकारी हो गए और देखते ही देखते पूरा देश पक्षी विहीन हो गया। राजा बड़ा प्रसन्न हुआ। उत्सव मनाया -उन्होंने प्रकृति पर विजय पा ली। पर अगले ही वर्ष गेहूँ की फसल नदारद थी। क्योंकि मिट्टी में जो कीड़े थे और जो टिड्डियां थीं, उन्हें वे पक्षी खाते थे और अनाज की रक्षा करते थे। इस बार उन्हें खाने वाले पंछी नहीं थे सो उन्होंने पूरी फसल खा डाली। उसके बाद राजा को विदेशों से चिडि़याएँ मंगानी पड़ीं।
यह सृष्टि परस्पर निर्भर है। उसे किसी भी चीज से खाली करने की कोशिश खतरनाक है। न हम निरंकुश स्वतंत्र हैं, और न परतंत्र हैं। यहाँ सब एक दूसरे पर निर्भर हैं। पृथ्वी पर जो कुछ भी है, वह हमारे लिए सहोदर के समान है। हमें उन सबके साथ जीने का सलीका सीखना होगा।"
वैसे, मैं अब जिन तथ्यों को रखने जा रहा हूं, उनसे आप भलीभांति अवगत होंगे । लेकिन इन्हें दुहराना जरूरी है । 
एक पेड़ एक दिन में चार लोगों को पर्याप्त आक्सीजन दे सकता है। लेकिन, पेड़ों की कमी के चलते स्थिति यह है कि अब एक पेड़ पर 4000 लोगों से अधिक की जिम्मेदारी पड़ रही है। एक पेड़ कटने से 42 लाख का नुकसान होता है। यह कहना है सीडीआरआई के फॉर्मर डिप्टी डायरेक्टर डॉ प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का। उनके अनुसार एक पेड़ अपनी औसतन 50 वर्ष की लाइफ में 42 लाख रुपये का फायदा कराता है। इससे हमें इमारती लकड़ी, फल-फूल, ऑक्सीजन मिलता है। पक्षियों को बसेरा मिलता है। वह हमें प्रदूषण से बचाता है और अन्य बहुत से फायदे देता है। यह हमें ग्लोबल वॉर्मिग से भी बचाता है। क्योंकि, ग्लोबल वार्मिग के लिए जिम्मेदार कार्बन डाई ऑक्साइड को यह लेकर हमें ऑक्सीजन देते हैं । बड़े और मोटे पत्ते वाले पेड़ों से ऑक्सीजन ज्यादा निकलती है और वह न्वाइज पाल्यूशन को भी कम करते हैं। इन पौधों की पत्तियां रफ होती हैं जिसके कारण पाल्यूशन बढ़ाने वाला वातारण में मौजूद पर्टिकुलेट मैटर के कण इन पत्तियों पर चिपक जाते हैं और बाद में बारिश के साथ जमीन में चले जाते हैं। जिससे इंसान इन कंणों को इनहेल करने से बच जाता है। शायद इसीलिए पहले सिर्फ यही पेड़ हाईवे के किनारे लगाए जाते थे।
वृक्ष अपने पत्ते और छाल पर हवा में मौजूद प्रदूषक गैसों (नाइट्रोजन आक्साइड, अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड) को अवशोषित कर लेते हैं। ओजोन लेयर को पार कर आने वाली पराबैंगीन किरणों को भी वह अवशोषित कर लेते हैं। साइंटिस्ट्स के अनुसार हर एक परिवार के घर के आसपास तीन पेड़ लगाए जाए तो एयरकंडीशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। पेड़ 50 प्रतिशत तक गर्मी में कमी ला देंगे। हमारे घरों में ठंडा करने के लिए एसी और फ्रिज की जरूतर होती है। ऐसे में इसके लिए ऊर्जा की जरूरत तो होती है साथ ही इनसे कार्बनडाइ आक्साइड भी निकल रही है। ऐसे में पेड़ की मौजूदगी एक ओर ऊर्जा की मांग कम करेगी तो दूसरी ओर इन उपकरणों के ना चलने से कार्बनडाइ ऑक्साइड नहीं निकलेगी। पेड़ बारिश के पानी को रोकते हैं। इतना ही नहीं पेड़ नेचुरल वॉटर प्यूरीफायर का काम करते हैं। बारिश के पानी को भी पेड़ बहने से रोकते हैं। त्वचा कैंसर का सबसे बड़ा कारण अल्ट्रा वायलेट किरणें होती हैं । स्कूल और खेल मैदानों पर मौजूद पेड़ 50 प्रतिशत इस खतरें का कम कर देते हैं। वे यूवी किरणों को अवशोषित कर लेते हैं। पेड़ सिर्फ इंसानों के लिए भोजन नहीं प्रदान करते हैं। बल्कि पशु पक्षियों को भी पेड़ भोजन देते हैं।
यही नहीं, पेड़ सूर्य के प्रकाश को रोक कर हवा में तापमान को स्थिर करते हैं। पेड़ों की पत्तियों में मौजूद पानी लगातार भाप बनकर उड़ता रहता है, जो ऊपर जाकर ठंडा हो जाता है। यह भी सूर्य की गर्मी को कम करता है। एक पेड़ 40 प्रतिशत तक शोर को अवशोषित करता है। इससे उस इलाके में शोर कम होता है। पेड़ की गिरी हुई पत्तियां धरती का तापमान और मिट्टी की नमी के नुकसान को कम करती हैं। खस्ताहाल पत्ते मिट्टी सूक्ष्म जीव को बढ़ावा देने और पेड़ के विकास के लिए पोषक तत्वों प्रदान करते हैं। पेड़ हवा से कार्बन डाईऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड के रूप में संभावित हानिकारक गैसों को अवशोषित कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। एक बड़ा पेड़ चार लोगों के लिए एक दिन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकते हैं। गाड़ियों से निकलने वाले धुंए को भी पेड़ एब्जॉर्ब कर लेते हैं। 10 हजार गाडि़यों के धुंए को 100 परिपक्व पेड़ आसानी से एबजॉर्व कर सकते हैं। ध्वनि तरंगों को पेड़-पत्ते और शाखाओं द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। 45 फुट ऊंचे पेड़ की एक बेल्ट से 50 प्रतिशत राजमार्ग के शोर को कम किया जा सकता है। लंबे समय तक शोर वाले इलाकों में रहने वाले लोगों में हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल के स्तर, चिड़चिड़ापन की शिकायत के अलावा व्यवहार में आक्रामकता होती है।
एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे सात लोगों को प्राण वायु मिल पाती है। यदि हम इसके आसपास कचरा जलाते हैं तो इसकी ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता आधी हो जाती है। इस तरह हम तीन लोगों से उसकी जिंदगी छीन लेते हैं। आज पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। इसलिए पौधे लगाने के साथ-साथ हमें पेड़ों को बचाने की जरूरत है। इसके लिए हमें जागरूक होने की जरूरत है। अपने आसपास पेड़ों को न कटनेे दें, उसका विरोध करें। उसके आसपास आग न लगाएं। इसके अलावा किसी भी स्थान पर 50 मीटर की दूरी पर एक पेड़ जरूर होना चाहिए। इससे वहां के रहवासियों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध हवा मिलेगी। और लोग स्वस्थ रहेंगे। यह कहना है पर्यावरणविद् डॉ. शम्स परवेज का । परवेज ने बताया कि पेड़ लगाने से 5 फायदें होते हैं। पहला यह ऑक्सीजन के जरिए मानव जीवन को बचाती है। दूसरे यह मिट्टी के क्षरण यानी उसे धूल बनने से रोकता है। जमीन से उसे बांध रखता है। भू जल स्तर को बढ़ाने में सबसे ज्यादा मदद करता है। इसके अलावा यह वायु मंडल के तापक्रम को कम करता है। पेड़ों से आच्छादित जगह पर दूसरी जगहों की अपेक्षा 3 से 4 डिग्री तक तापमान कम होता है। इसलिए अपने आसपास ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। ताकि मानव जाति को बचाया जा सके। 
पेड़ धरती पर सबसे पुरानें जीवित प्राणी हैं । ये कभी भी ज्यादा उम्र की वजह से नही मरते । धरती पर मानवों के जन्म से लेकर अब तक हम 3 लाख करोड़ पेड़ काट चुके हैं । हर 2 सेकंड में एक फुटबाॅल के मैदान जितने जंगल काटे जा रहे हैं । हर साल 5 अऱब पेड़ लगाए जा रहे है लेकिन हर साल 10 अऱब पेड़ काटे भी जा रहे हैं । खो जाने पर, नेविगेशन में सहायता के लिए पेड़ों का उपयोग पहले भी किया जाता था, अब भी कर सकते हैं । यदि आप एक पेड़ पाते हैं जो नीचे कट गया है, तो आप उस पेड़ के छल्ले का निरीक्षण कर सकते हैं, जिससे पता चलता है कि उत्तर किस दिशा में है। उत्तरी गोलार्ध में, पेड़ के तने में वृद्धि के छल्ले दक्षिणी किनारे पर थोड़ा मोटे होते हैं, जो अधिक प्रकाश प्राप्त करता है। यह बातचीत दक्षिणी गोलार्ध में सच है। एक पेड़ 1 साल में 21.7 kg काॅर्बनडाइ-ऑक्साइड अपने अंदर सोखता है और दिन में इतनी ऑक्सीजन देता है कि 4 आदमी जिंदा रह सकें । दुनियाभ़र में लगभग 30 खऱब 40 अऱब पेड़ हैं । यानि सितारों और मानव दिमाग में मौजूद कोशिकाओं से भी ज़्यादा । देशों की बात करें, तो दुनिया में सबसे ज्यादा पेड़ रूस में है 641 अऱब । उसके बाद कनाडा में 318 अऱब, ब्राज़ील में 301 अऱब, अमेरिका में 228 अऱब और भारत में केवल 35 अऱब पेड़ बचे हैं । दुनिया की बात करें, तो 1 इंसान के लिए 422 पेड़ बचे है. लेकिन अगर भारत की बात करें, तो 1 हिंदुस्तानी के लिए सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं । पेड़ों की कतार धूल-मिट्टी के स्तर को 75% तक कम कर देती है । और 50% तक शोर को कम करती हैं । एक पेड़ इतनी ठंड पैदा करता है जितनी 1 A.C 10 कमरों में 20 घंटो तक चलने पर करता है. जो इलाका पेड़ो से घिरा होता है वह दूसरे इलाकों की तुलना में 9 डिग्री ठंडा रहता हैं । पेड़ अपनी 10% खुराक मिट्टी से और 90% खुराक हवा से लेते है. एक पेड़ में एक साल में 2,000 लीटर पानी धरती से चूस लेता हैं । पृथ्वी पर सबसे पुरानी जीवित चीज पेड़ ही हैं । एक एकड़ में लगे हुए पेड़ 1 साल में इतनी Co2 सोख लेते है जितनी एक कार 41,000 km चलने पर छोड़ती हैं । दुनिया की 20% oxygen अमेजन के जंगलो द्वारा पैदा की जाती हैं. ये जंगल 8 करोड़ 15 लाख एकड़ में फैले हुए हैं । इंसानो की तरह पेड़ो को भी कैंसर होता है । कैंसर होने के बाद पेड़ कम ऑक्सीजन देने लगते हैं । पेड़ की जड़ें बहुत नीचे तक जा सकती हैं । दक्षिण अफ्रिका में एक अंजीर के पेड़ की जड़े 400 फीट नीचे तक पाई गई थी । दुनिया का सबसे पुराना पेड़ स्वीडन के डलारना प्रांत में है. टीजिक्को नाम का यह पेड़ 9,550 साल पुराना है. इसकी लंबाई करीब 13 फीट है । तुलसी, पीपल, नीम और बरगद दूसरों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करते हैं ।

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