ताशकंद फाइल्स के आखरी 15 मिनट एक "चोर खानदान" को नंगा कर देते हैं। सच है यह कि सोवियत विघटन से पहले भारत रूस का पालतू और पाकिस्तान अमेरिका का पालतू बनकर चलता रहा।
40 से 50% राजनितिज्ञ यहां KGB के पेरोल पर काम कर रहे थे। जिस इंदिरा ने पाकिस्तान अलग करवाया के गुणगान हम अपने देश के भीतर करते हैं। असल में वो जीत रूस की अमेरिका पर थी दुनिया की नजरों में। हम तो महज कठपुतली थे।
उस दौर में हमने न सिर्फ बड़े लीडर खोए हैं ...
बल्कि बड़े बड़े वैज्ञानिक भी खोए थे।
जो लीडर या वैज्ञानिक जिस गिरोह(रशियन या अमेरिकन) को सूट नहीं करता था ,,,, उसे किसी भी बहाने मरवा दिया जाता था।
1990 के बाद तो दुनिया एक दम फ्लिप हो गयी।
अमेरिका खुश की उसने सोवियत तोड़ दिया
और रशियन खुश की अमेरिका के प्रशासन में अब उसका कब्जा है।
तब से एक मिक्स किस्म की दुनिया हो चली है।
चीनी साम्यवादी देश सबसे बड़ा केप्टलिस्ट है।
उसके पीछे समाजवादी(इलीगल) भारत केप्टलिज़्म की दौड़ में है।
केप्टलिस्ट अमेरिका और ब्रिटेन घोर वामपंथी विचारधारा के देश बन गए हैं।
आज भारत में KGB, CIA, चीन सबकी घुसपैठ है
और जिन्हें आप अर्बन नक्सल कहते हो ..
ये इनमें से कब किसके एजेंट बन जाते हैं पता ही नहीं चल पाता है।
1990 के बाद से कभी यहां केजीबी सरकार चलाती रही है
तो कभी सीआईए
तो चीन की कोशिश रहती है कि उसका भी वही नाम हो
लेकिन अभी वह श्रीलंका, नेपाल जैसे देश के तख्ते पलट करने लायक ही ताकतवर हुआ है।
बीच में एक बार राष्ट्रवादी सरकार अटल जी की आयी थी ..
तो उसकी कुर्सी की तीन टांग इन सब खिचड़ियों के समर्थन से खड़ी थी क्योंकि बहुमत नहीं था।
2004 से 2014 तक की सरकार में सीआईए और KGB की लड़ाई की झलक आप एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर में न्यूक्लियर संधि वाले सीन में देखे ही होंगे।
अब 2014 से जब से राष्ट्रवादी पार्ट 2 सरकार आयी
तो आपने महसूस किया होगा कि इस बार सारे सीआईए, KGB, चीन वाले एक हो गए हैं,जिनको अभी हाल में ही अर्बन नक्सल नाम दिया गया है। ऊपर से आपने यह भी नोट किया होगा कि इस सरकार पर आरोप लगते हैं कि यह मित्र देश रूस से दूर जा रहा है। दूसरी तरफ आरोप लगते हैं कि यह उद्योगपतियों की सरकार अर्थात केप्टलिस्ट बन रही है और सारे सरकारी उपक्रम बेच रही है। कल्चरल रूप से तो इसपर कितने आरोप लग चुके हैं
जो ये सब मिलकर लगाते हैं,क्योंकि कल्चरली तो आज अमेरिका से लेकर रसिया सब वामपंथी विचार धारा के बन चुके हैं। अब सोचें जो देश हाल तक दूसरे देशों की कठपुतली बनकर चलता रहा हो, जिसके कारण देश का हित कभी सोचा ही न गया हो ऐसे देश को जब हम सोचना सिखाते हैं तो हम पर "राष्ट्रवादी" होने का ठप्पा लग जाता है कि तुम अपने देश की चिंता क्यों कर रहे हो ? क्या तुमसे पहले ये देश नहीं चल रहा था ? जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि हमसे पहले ये देश चल तो जरूर रहा था लेकिन वो हम नहीं कोई और चला रहा था। इसी लिए मोदी जी ने कहा था कि न हम आंख उठाकर बात करेंगे और न आंख झुकाकर हम आंख मिलाकर बात करेंगे। यही वजह है कि रूस ने जो सम्मान कभी अपने किसी पालतू को नहीं दिया वो मोदी जी को हाल में दिया है।प्रोटोकॉल तोड़कर पुतिन मोदी जी को प्लेन में छोड़ने(रिसीव नहीं) आता है।अप्रत्यक्ष मेसेज देता है कि अब हम अपने KGB एजेंटों से पार पाकर भारत को अपना मित्र(पालतू नहीं) ट्रीट करते हैं।उधर मोदी जी अमेरिका को समझा देते हैं कि ये पीठ थपथपा कर मिलना और भारत को छोटा(पालतू) समझना बन्द हो। इंग्लैंड की रानी को ग्लव्स उतार हाथ मिलवाने को कहते हैं। फ्रांस हमारे लिए चीन से UN में लड़ता है। अरब देश मोदी को बड़ा भाई बताते हैं।*
इजरायल परम मित्र बताता है। जापानी प्रधानमंत्री जिन चुनिंदा(उस समय तो सिर्फ 4 लोग) लोगों को फॉलो करता है उनमें मोदी जी हैं। ये भले ही छोटी छोटी बात हो लेकिन कूटनीति में इससे बड़ा संदेश जाता है।*
आज भारत खुद को न सिर्फ विश्व पटल पर एक मजबूत शक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहा है,बल्कि उसका दावा तो स्थायी सीट का भी हो चला है। बस यही "राष्ट्रवाद" लोगों को पसन्द नही आ रहा क्योंकि इससे वो लोग जो पेरोल पर काम करते थे उनकी रोजी रोटी जा रही है*
और ऊपर से वो जितना एक्सपोज़ होते जा रहे हैं उससे उनकी औकात भी 2 कौड़ी की नहीं रह गयी है।
आज एक नेता ऐसा आया है जिसने भारत की पहचान बदली है। यह बात का एक आम जनता वाला उदाहरण समझना हो
तो आज कौन सा ऐसा देश है जहां के NRI वहां से लेकर यहां आकर तक मोदी का प्रचार नहीं कर रहे हैं।*
पहले कितना देखा था आपने?*
वरना मोदी ने सही तो कहा था कि
पहले तो उन्हें खुद को भारतीय कहने में ही संकोच आता था जैसे हमें अपने देश में ही खुद को हिन्दू या राष्ट्रवादी कहने में संकोच करते थे।*
*लेकिन अब यह बदलता भारत है।*
*पहचानिए बदलते भारत को।*
*पहचानिए नेक्स्ट सुपरपॉवर को।*
*पहचानिए अपने आप को।*
🙏🙏🙏🙏
40 से 50% राजनितिज्ञ यहां KGB के पेरोल पर काम कर रहे थे। जिस इंदिरा ने पाकिस्तान अलग करवाया के गुणगान हम अपने देश के भीतर करते हैं। असल में वो जीत रूस की अमेरिका पर थी दुनिया की नजरों में। हम तो महज कठपुतली थे।
उस दौर में हमने न सिर्फ बड़े लीडर खोए हैं ...
बल्कि बड़े बड़े वैज्ञानिक भी खोए थे।
जो लीडर या वैज्ञानिक जिस गिरोह(रशियन या अमेरिकन) को सूट नहीं करता था ,,,, उसे किसी भी बहाने मरवा दिया जाता था।
1990 के बाद तो दुनिया एक दम फ्लिप हो गयी।
अमेरिका खुश की उसने सोवियत तोड़ दिया
और रशियन खुश की अमेरिका के प्रशासन में अब उसका कब्जा है।
तब से एक मिक्स किस्म की दुनिया हो चली है।
चीनी साम्यवादी देश सबसे बड़ा केप्टलिस्ट है।
उसके पीछे समाजवादी(इलीगल) भारत केप्टलिज़्म की दौड़ में है।
केप्टलिस्ट अमेरिका और ब्रिटेन घोर वामपंथी विचारधारा के देश बन गए हैं।
आज भारत में KGB, CIA, चीन सबकी घुसपैठ है
और जिन्हें आप अर्बन नक्सल कहते हो ..
ये इनमें से कब किसके एजेंट बन जाते हैं पता ही नहीं चल पाता है।
1990 के बाद से कभी यहां केजीबी सरकार चलाती रही है
तो कभी सीआईए
तो चीन की कोशिश रहती है कि उसका भी वही नाम हो
लेकिन अभी वह श्रीलंका, नेपाल जैसे देश के तख्ते पलट करने लायक ही ताकतवर हुआ है।
बीच में एक बार राष्ट्रवादी सरकार अटल जी की आयी थी ..
तो उसकी कुर्सी की तीन टांग इन सब खिचड़ियों के समर्थन से खड़ी थी क्योंकि बहुमत नहीं था।
2004 से 2014 तक की सरकार में सीआईए और KGB की लड़ाई की झलक आप एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर में न्यूक्लियर संधि वाले सीन में देखे ही होंगे।
अब 2014 से जब से राष्ट्रवादी पार्ट 2 सरकार आयी
तो आपने महसूस किया होगा कि इस बार सारे सीआईए, KGB, चीन वाले एक हो गए हैं,जिनको अभी हाल में ही अर्बन नक्सल नाम दिया गया है। ऊपर से आपने यह भी नोट किया होगा कि इस सरकार पर आरोप लगते हैं कि यह मित्र देश रूस से दूर जा रहा है। दूसरी तरफ आरोप लगते हैं कि यह उद्योगपतियों की सरकार अर्थात केप्टलिस्ट बन रही है और सारे सरकारी उपक्रम बेच रही है। कल्चरल रूप से तो इसपर कितने आरोप लग चुके हैं
जो ये सब मिलकर लगाते हैं,क्योंकि कल्चरली तो आज अमेरिका से लेकर रसिया सब वामपंथी विचार धारा के बन चुके हैं। अब सोचें जो देश हाल तक दूसरे देशों की कठपुतली बनकर चलता रहा हो, जिसके कारण देश का हित कभी सोचा ही न गया हो ऐसे देश को जब हम सोचना सिखाते हैं तो हम पर "राष्ट्रवादी" होने का ठप्पा लग जाता है कि तुम अपने देश की चिंता क्यों कर रहे हो ? क्या तुमसे पहले ये देश नहीं चल रहा था ? जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि हमसे पहले ये देश चल तो जरूर रहा था लेकिन वो हम नहीं कोई और चला रहा था। इसी लिए मोदी जी ने कहा था कि न हम आंख उठाकर बात करेंगे और न आंख झुकाकर हम आंख मिलाकर बात करेंगे। यही वजह है कि रूस ने जो सम्मान कभी अपने किसी पालतू को नहीं दिया वो मोदी जी को हाल में दिया है।प्रोटोकॉल तोड़कर पुतिन मोदी जी को प्लेन में छोड़ने(रिसीव नहीं) आता है।अप्रत्यक्ष मेसेज देता है कि अब हम अपने KGB एजेंटों से पार पाकर भारत को अपना मित्र(पालतू नहीं) ट्रीट करते हैं।उधर मोदी जी अमेरिका को समझा देते हैं कि ये पीठ थपथपा कर मिलना और भारत को छोटा(पालतू) समझना बन्द हो। इंग्लैंड की रानी को ग्लव्स उतार हाथ मिलवाने को कहते हैं। फ्रांस हमारे लिए चीन से UN में लड़ता है। अरब देश मोदी को बड़ा भाई बताते हैं।*
इजरायल परम मित्र बताता है। जापानी प्रधानमंत्री जिन चुनिंदा(उस समय तो सिर्फ 4 लोग) लोगों को फॉलो करता है उनमें मोदी जी हैं। ये भले ही छोटी छोटी बात हो लेकिन कूटनीति में इससे बड़ा संदेश जाता है।*
आज भारत खुद को न सिर्फ विश्व पटल पर एक मजबूत शक्ति के रूप में प्रस्तुत कर रहा है,बल्कि उसका दावा तो स्थायी सीट का भी हो चला है। बस यही "राष्ट्रवाद" लोगों को पसन्द नही आ रहा क्योंकि इससे वो लोग जो पेरोल पर काम करते थे उनकी रोजी रोटी जा रही है*
और ऊपर से वो जितना एक्सपोज़ होते जा रहे हैं उससे उनकी औकात भी 2 कौड़ी की नहीं रह गयी है।
आज एक नेता ऐसा आया है जिसने भारत की पहचान बदली है। यह बात का एक आम जनता वाला उदाहरण समझना हो
तो आज कौन सा ऐसा देश है जहां के NRI वहां से लेकर यहां आकर तक मोदी का प्रचार नहीं कर रहे हैं।*
पहले कितना देखा था आपने?*
वरना मोदी ने सही तो कहा था कि
पहले तो उन्हें खुद को भारतीय कहने में ही संकोच आता था जैसे हमें अपने देश में ही खुद को हिन्दू या राष्ट्रवादी कहने में संकोच करते थे।*
*लेकिन अब यह बदलता भारत है।*
*पहचानिए बदलते भारत को।*
*पहचानिए नेक्स्ट सुपरपॉवर को।*
*पहचानिए अपने आप को।*
🙏🙏🙏🙏
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