Skip to main content

मजदूर संघ अधिनियम, 1926 !!

                    मजदूर संघ अधिनियम, 1926

मजदूर संघ अधिनियम, 1926 में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के ट्रेड यूनियन के पंजीकरण का प्रावधान किया गया है और कुछ मामलों में यह पंजीकृत मजदूर संघ से संबंधित कानून को परिभाषित करता है। यह पंजीकृत मजदूर संघ पर कानूनी और कार्पोरेट की स्थिति प्रदान करता है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने मजदूर संघ अधिनियम, 1926 के तहत केन्द्र सरकार के कार्यों को राज्‍य सरकारों को सौंप दिया है। इसलिए अधिनियम का देखरेख संबंधित राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है।
मजदूर संघ (संशोधन) विधेयक, 2001 संसद द्वारा पारित किया गया था और मजदूर संघ (संशोधन) अधिनियम, 2001 के प्रावधानों को 09.01.2002 से लागू किया गया था। संशोधन का जोर मजदूर संघ की बहुलता को कम करने, मजदूर संघ के सुव्यवस्थित विकास और आंतरिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने पर दिया गया है।
इस अधिनियम में संक्षेप में संशोधन इस प्रकार हैं:
(i) कामगारों के कोई किसी मजदूर संघ को तब तक पंजीकृत नहीं होगा जब तक कि 10 प्रतिशत या 100, जो भी कम हो, न्‍यूनतम 7 कामगार प्रतिष्‍ठान या उद्योग में न लगे या नियुक्‍त हुए हो जिसके साथ पंजीकरण के लिए आवेदन करने की तिथि को ऐसे मजदूर संघ के सदस्‍य जुड़े न हो।
(ii) कामगारों के कोई पंजीकृत मजदूर संघ हर समय तभी जारी रहेगा जब कम से कम 10 प्रतिशत या 100, जो भी कम हो, न्‍यूनतम 7 कामगार प्रतिष्‍ठान या उद्योग में न लगे या नियुक्‍त हुए हो जिसके साथ सदस्‍य के रूप में ऐसे मजदूर संघ के सदस्‍य जुड़े न हो।
(iii) पंजीकरण की गैर पंजीकरण/बहाली के मामले में औद्योगिक न्यायाधिकरण/श्रम न्यायालय के समक्ष एक अपील दाखिल करने के लिए एक प्रावधान बनाया गया है।
(iv) किसी पंजीकृत मजदूर संघ के सभी पदाधिकारी, पदाधिकारियों की कुल संख्‍या की एक तिहाई से अधिक नहीं होने के सिवाय या पांच, जो भी कम हो, प्रतिष्ठान या उद्योग में लगे हुए या कार्यरत वास्‍तविक व्यक्ति होंगे जिसके साथ मजदूर संघ जुड़ा है।
(v) मजदूर संघ के सदस्यों द्वारा सदस्यता की न्यूनतम दर ग्रामीण क्षेत्र में एक रुपए प्रति वर्ष, असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 3 रुपए प्रति वर्ष तथा अन्‍य सभी क्षेत्रों के लिए 12 रुपए प्रतिवर्ष तय की गई है।
(vi) अपने सदस्यों के नागरिक और राजनीतिक हितों के संवर्धन के लिए यूनियनों को अलग राजनीतिक धनराशि स्थापित करने के लिए अधिकृत किया गया है।

Comments

Popular posts from this blog

पहले सेक्स की कहानी, महिलाओं की जुबानी.

क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता।                                                        महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खु‍शकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहना था कि उसने अपना कौमार्य एक ट्रैम्पोलाइन पर खोया। ट्रैम्पोलाइन वह मजबूत और सख्त कैनवास होता है, जिसे ‍स्प्रिंग के सहारे कि

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 !!

Torrent Power Thane Diva Helpline & Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 बिजली के समस्या के लिये आप Customer Care 24x7 No : 02522677099 / 02522286099 पर अपनी बिजली से सबंधित शिकायत कर सकते है। या Torrent Power ऑफिस जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। या उनके ईमेल id पर भी शिकायत कर सकते हो। To,                            Ass.Manager Torrent Power Ltd चद्ररगन रेसिटेंसी,नियर कल्पतरु जेवर्ल्स,शॉप नंबर-234, दिवा ईस्ट । consumerforum@torrentpower.com connect.ahd@torrentpower.com

#महाराष्ट्र के मा.मुख्यमंत्री #एकनाथ शिंदे जी,मेरा बेटे #कृष्णा चव्हाण #कर्नाटक से #ठाणे रेलवे पर स्टेशन आते वक़्त लोकल रेल्वे से उसका एक्सीडेंट में मौत होकर 3 साल गुजर जाने पर भी आज तक इस ग़रीब माता पिता को इंसाफ नही मिला हैं !!

#महाराष्ट्र के मा.मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जी,मेरा बेटे कृष्णा चव्हाण #कर्नाटक से ठाणे रेलवे स्टेशन पर आते वक़्त लोकल रेल्वे से उसका एक्सीडेंट में मौत होकर 3 साल गुजर जाने पर भी आज तक इस ग़रीब माता पिता को इंसाफ नही मिला हैं !! आज तक किसी भी रेलवे के तरफ़ से कोई अधिकारी मेरे बेटे के ट्रेन एक्सीडेंट लेकर या कोर्ट केस से संबधित कोई भी इनफार्मेशन मुझे नही दी हैं. मेरे बेटे के मौत को लेकर कोई भी रेलवे डिपार्टमेंट से कानूनी लीगल मदत आज तक नही मिली हैं. #कृष्णा पुनिया चव्हाण को इंसाफ दिलाने के लिए जनता इस न्यूज़ पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और साथ हीं कमेट्स बॉक्स में अपनी राय रखे !!