आंसू जरूरी रूप से दुख या सुख से जुड़े नहीं हैं !! ओशो !!

किसने कहा तुम्हें कि रोना कमजोरी का लक्षण है? मीरा खूब रोयी है! चैतन्य की आंखों से झरझर आंसू बहे! नहीं, कमजोरी के लक्षण नहीं हैं,भाव के लक्षण हैं,भाव की शक्ति के लक्षण हैं। और ध्यान रखना, भाव विचार से गहरी बात है।
खयाल रखना, आंसू जरूरी रूप से दुख के कारण नहीं होते। हालांकि लोग एक ही तरह के आंसुओ से परिचित हैं जो दुख के होते हैं। करुणा में भी आंसू बहते हैं। आनंद में भी आंसू बहते हैं। अहोभाव में भी आंसू बहते हैं। कृतज्ञता में भी आंसू बहते हैं। आंसू तो सिर्फ प्रतीक हैं कि कोई ऐसी घटना भीतर घट रही है जिसको सम्हालना मुश्किल है—दुख या सुख; कोई ऐसी घटना भीतर घट रही है जो इतनी ज्यादा है कि ऊपर से बहने लगी। फिर वह दुख हो, इतना ज्यादा दुख हो कि भीतर सम्हालना मुश्किल हो जाये तो आंसुओ से बहेगा। आंसू निकास हैं। या आनंद घना हो जाये तो आनंद भी आंसुओ से बहेगा। आंसू निकास हैं #

आंसू जरूरी रूप से दुख या सुख से जुड़े नहीं हैं,अतिरेक से जुड़े हैं। जिस चीज का भी अतिरेक हो जायेगा, आंसू उसी को लेकर बहने लगेंगे...
                    * ओशो #

                   🙏 अष्‍टावक्र महागीता 🙏

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