श्रम विषय को भारत के संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है !!

प्रभाग द्वारा प्रशासित अधिनियम और नियम

श्रम विषय को भारत के संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है, जो विभिन्‍न श्रम संबंधी मामलों पर केंद्र और राज्‍य, दोनों सरकारों को कानून बनाने हेतु अधिकार प्रदान करती है। वैश्‍वीकरण उदारीकरण के साथ ही पूरे विश्‍व में सामाजिक-आर्थिक स्‍थितियों में अत्‍यधिक बदलाव आए हैं। खुली व्‍यापार नीति श्रम संबंधी कानूनों में इन बदलती हुई आवश्‍यकताओं के अनुरूप अद्यतन करने का समर्थन करती है। सभी श्रम संबंधी कानून राष्‍ट्र के लिए अत्‍यधिक महत्‍व के हैं क्‍योंकि उनका आम आदमी पर प्रत्‍यक्ष प्रभाव पड़ता है क्‍योंकि आज की तारीख तक भारतीय उद्योग श्रमिक सघन हैं तथा कामगार देश की सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण परिसंपत्‍ति/मेरूदंड है, जिसके हितों का किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है। आईआर प्रभाग द्वारा प्रशासित केंद्रीय श्रमिक कानून इस प्रकार है:-
  1. औद्योगिक विवाद, अधिनियम, 1947
  2. व्‍यापार संघ अधिनियम, 1926
  3. बागान श्रमिक अधिनियम, 1951
  4. औद्योगिक रोजगार (स्‍थाई आदेश) अधिनियम, 1946
  5. साप्‍ताहिक अवकाश अधिनियम, 1942
  6. प्रबंधन विधेयक में कामगारों की सहभागिता, 1990

उपर्युक्‍त केंद्रीय अधिनियमों के रख-रखाव के अलावा इस मंत्रालय में निम्‍नलिखित राज्‍य अधिनियमों की भी जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्‍चित किया जा सके कि क्‍या राज्‍यों द्वारा प्रस्‍तावित संशोधन संवैधानिक रूप से वैद्य है; क्‍या किसी मौजूदा केंद्रीय कानून के साथ भिन्‍नता है, और, यदि ऐसा है, तो क्‍या इस भिन्‍नता को होश-हवास में अनुमति प्रदान की जा सकती है; और क्‍या राज्‍य के प्रस्‍तावित कानून में मौजूदा राष्‍ट्रीय अथवा केंद्रीय नीति से कोई ऐसा विचलन है, जिससे इसे क्षति हो अथवा देश में एकसमान कानूनों के अधिनियम में बाधा हो।
  1. दुकान और प्रतिष्‍ठान अधिनियम
  2. राष्‍ट्रीय और त्‍यौहार अवकाश अधिनियम

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