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आज दुनियाभर की मीडिया के लिए "करो या मरो" जैसे हालात बने हुए हैं ! सरकार मीडिया पर सेंसरशिप लगा रही है !

आज दुनियाभर की मीडिया के लिए "करो या मरो" जैसे हालात बने हुए हैं। हर देश में राजनीति के माध्यम से चुन कर आने वाली सरकार मीडिया पर सेंसरशिप लगा रही है।
इसका विरोध 16-08-2019 को अमेरिका के 300 से अधिक अखबारों ने किया व सबसे ताजा 21-10-2019 को आस्ट्रेलिया की पुरी मीडिया ने करा। इस दिन वहा के सभी अखबारों ने अपने फ्रन्ट पेज की खबरों पर काली लकीरें खींच डाली।
अब यह सेंसरशिप भारत में भी पहुँच गई हैं। 31-10-2019 को सामने आई खबर के अनुसार उड़ीसा में सभी कर्मचारियों पर मीडिया में कोई भी जानकारी देने पर रोक लगा दी व ऐसा करने पर सख्त सजा का प्रावधान कर दिया। बहुत शीघ्र यह पूरे देश की मीडिया संस्थाओं व कर्मचारियों पर लागू हो जायेंगे।
इस तरह की परिस्थिति नहीं बनती यदि मीडिया को उसका संवैधानिक चेहरा व अधिकार आजादी के बाद समय पर दे दिया जाता.डिया के संवैधानिक अधिकार व चेहरा क्या है वो हमने प्रमाण सहित अपने आविष्कार असली एडी-सिरिंज की फाईल के साथ राष्ट्रपति महोदय को 2011 में भेज दिया था। इस आविष्कार को लेकर मीडिया ने जितनी खबरें प्रकाशित करी व टीवी पर दिखाई उन सभी के संकलन से यह छुपा रहस्य सामने आ गया।डिया के इस्तेमाल की जंग में जनतंत्र का दाव" वाली जो खबर है व आपका वैज्ञानिक-विश्लेषण ही है। इस खबर के साथ जो फोटो प्रदर्शित करी है उसके माध्यम से हमने यह बात सांकेतिक रूप से ग्राफिक्स के तहत स्पष्ट कर दी थी। इस पर राष्ट्रपति सचिवालय ने मोहर लगाकर आधिकारिक हस्ताक्षर भी किये हैं।
इस खबर का पूरे देश में प्रकाशन व प्रसारण हो रहा है क्योंकि मीडिया की स्वतंत्रता व अधिकार का उपाय सिर्फ भारत के पास है।
भारत में मीडिया से जुड़े लोग "करो या मरो" की परिस्थिति में चुपचाप बैठकर "आत्महत्या" करने वालों में से नहीं है इसलिए वे इसे आगे बढा रहे हैं। वे अच्छी तरह से जानते हैं कि इन अधिकारियों के बिना उनके द्वारा प्रकाशित करी खबरों से लोगों को न्याय नहीं दिला सकते हैं। इनकी यह खबरें समय बर्बाद कर रद्दी में बदली जा रही है।
राष्ट्रीय आनलाईन न्यूज पोर्टल व पत्रिका ने पहले भी यह फोटो प्रकाशित कर सांकेतिक संकेत दे दिये थे। अब इस को विस्तार से सामने रखा है। इसे अवश्य पढ़ें।
इस खबर को आगे से आगे फोर्वड करके मीडिया को जनता के हित में समय पर मजबूत बनाये अन्यथा किसी पत्रकार की अपराधी द्वारा हत्या पर दु:ख तो हत्या करने वाला भी जता देता है व अपनी खबर पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर रोना हर कोई रोता है।

आस्ट्रेलिया की इस खबर को आप इस लिंक पर क्लिक करके विस्तार से पढ सकते हैं।

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