बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों की घटनाएं समाज को शर्मसार करती हैं। इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था। पॉक्सो कानून यानी की प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 जिसको हिंदी में लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 कहा जाता है।
* धारा 4 : में वो मामले आते हैं जिसमें बच्चे के साथ कुकर्म या फिर दुष्कर्म किया गया हो।
* सजा : इस अधिनियम में 7 साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
* धारा 6 : के अंतर्गत वो मामले आते हैं जिनमें बच्चों के साथ कुकर्म, दुष्कर्म के बाद उनको चोट पहुंचाई गई हो।
* सजा : इस धारा के तहत 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
* धारा : 7 & 8 की बात की जाए तो उसमें ऐसे मामले आते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग में चोट पहुंचाई जाती है।
* सजा : इसमें दोषियों को 5 से 7 साल की सजा के साथ जुर्माना का भी प्रावधान है।
* धारा 4 : में वो मामले आते हैं जिसमें बच्चे के साथ कुकर्म या फिर दुष्कर्म किया गया हो।
* सजा : इस अधिनियम में 7 साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक का प्रावधान है साथ ही साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
* धारा 6 : के अंतर्गत वो मामले आते हैं जिनमें बच्चों के साथ कुकर्म, दुष्कर्म के बाद उनको चोट पहुंचाई गई हो।
* सजा : इस धारा के तहत 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
* धारा : 7 & 8 की बात की जाए तो उसमें ऐसे मामले आते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग में चोट पहुंचाई जाती है।
* सजा : इसमें दोषियों को 5 से 7 साल की सजा के साथ जुर्माना का भी प्रावधान है।
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