बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता अपने विभाग के भ्रष्टाचार को रोकने की बजाय आरटीआई कार्यकर्ताओ को वसुलीबाज कहकर संविधान व सूचना के अधिकार कानून का उलंघन कर रहे है !! मुंबई उच्च न्यायालय !!
भ्रष्टाचार छुपाने के लिये आरटीआई कार्यकर्ता को बनाया वसुलीबाज !मुंबई उच्च न्यायालय ने जताई नाराजगी !
मुंबई-आरटीआई कार्यकर्ताओं से खुल रहे भ्रष्टाचार से बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता ने जहां अपने विवादित बयानों में आरटीआई कार्यकर्ताओं को वसुलीबाज बना डाला उनके इस बयान पर आरटीआई कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जहां मुंबई उच्च न्यायालय ने बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता के वसुलीबाज वाले बयान पर नाराजगी जताई और कहा आरटीआई कार्यकर्ता को कौन से कानूनी प्रावधान के तहत वसुलीबाज व पेशेवर बताया गया।गौरतलब है कि जहा बीएमसी में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते आये दिन बीएमसी के कुछ अधिकारियों पर गाज गिर रही है, तो कुछ सस्पेंड हो रहे है, जिससे बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता अपने विभाग के भ्रष्टाचार को रोकने की बजाय आरटीआई कार्यकर्ताओ को वसुलीबाज कहकर संविधान व सूचना के अधिकार कानून का उलंघन कर रहे है। ज्ञात हो कि पिछले वर्षों से बीएमसी के रोड विभाग एस डब्ल्यू डी विभाग में करोड़ों का भ्रष्टाचार आरटीआई के जरिये खुला था जिसमें कुछ अधिकारियों को सस्पेंड होना पड़ा तो कुछ कंपनी के ऊपर एफआईआर दर्ज हुई वही कुछ ब्लैक लिस्ट कर दी गयी। ऐसे में अजोय मेहता बीएमसी की छवि सुधारने की बजाय गक्त दिनों मीडिया को दिये इंटरव्यू में आरटीआई कार्यकर्ताओं को वसुलीबाज, पेशेवर, ब्लैकमेलर जैसे वाक्यों को प्रयोग किया गया जहाँ एक आरटीआई कार्यकर्ता ने बीएमसी कमिश्नर के वाक्यों की घोर निंदा करते हुये मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की उक्त याचिका की सुनवाई पर उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई है।फिलहाल बीएमसी के वकील ने दो सफ्ताह का समय मांगा है।*
मुंबई-आरटीआई कार्यकर्ताओं से खुल रहे भ्रष्टाचार से बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता ने जहां अपने विवादित बयानों में आरटीआई कार्यकर्ताओं को वसुलीबाज बना डाला उनके इस बयान पर आरटीआई कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जहां मुंबई उच्च न्यायालय ने बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता के वसुलीबाज वाले बयान पर नाराजगी जताई और कहा आरटीआई कार्यकर्ता को कौन से कानूनी प्रावधान के तहत वसुलीबाज व पेशेवर बताया गया।गौरतलब है कि जहा बीएमसी में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते आये दिन बीएमसी के कुछ अधिकारियों पर गाज गिर रही है, तो कुछ सस्पेंड हो रहे है, जिससे बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता अपने विभाग के भ्रष्टाचार को रोकने की बजाय आरटीआई कार्यकर्ताओ को वसुलीबाज कहकर संविधान व सूचना के अधिकार कानून का उलंघन कर रहे है। ज्ञात हो कि पिछले वर्षों से बीएमसी के रोड विभाग एस डब्ल्यू डी विभाग में करोड़ों का भ्रष्टाचार आरटीआई के जरिये खुला था जिसमें कुछ अधिकारियों को सस्पेंड होना पड़ा तो कुछ कंपनी के ऊपर एफआईआर दर्ज हुई वही कुछ ब्लैक लिस्ट कर दी गयी। ऐसे में अजोय मेहता बीएमसी की छवि सुधारने की बजाय गक्त दिनों मीडिया को दिये इंटरव्यू में आरटीआई कार्यकर्ताओं को वसुलीबाज, पेशेवर, ब्लैकमेलर जैसे वाक्यों को प्रयोग किया गया जहाँ एक आरटीआई कार्यकर्ता ने बीएमसी कमिश्नर के वाक्यों की घोर निंदा करते हुये मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की उक्त याचिका की सुनवाई पर उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई है।फिलहाल बीएमसी के वकील ने दो सफ्ताह का समय मांगा है।*
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