CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली लगभग 140 रिट याचिकाओं का जवाब देने के लिए बुधवार को केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया !
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली लगभग 140 रिट याचिकाओं का जवाब देने के लिए बुधवार को केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया। हालांकि पार्टियों ने अदालत से इस बीच अधिनियम के तहत प्रक्रिया के कार्यान्वयन को स्थगित करने का आग्रह किया, लेकिन पीठ ने इस तरह की राहत देने का कोई आदेश पारित नहीं किया। CJI एसए बोबडे, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने भी असम और त्रिपुरा की याचिकाओं पर अलग से विचार करने पर सहमति व्यक्त की। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने 80 और याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए और समय की मांग की। ये 80 याचिकाएं अदालत द्वारा पहले 18 दिसंबर को 60 याचिकाओं पर नोटिस जारी किए जाने के बाद दायर की गई थीं। शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई करने से रोक दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एनपीआर प्रक्रिया को कम से कम तीन महीने के लिए रखने के आदेश की मांग की, जिसमें बताया गया कि एनपीआर प्रक्रिया अप्रैल में शुरू होने वाली है। वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने यह कहते हुए अंतरिम आदेश की मांग की कि अधिनियम ने असम समझौते का उल्लंघन किया है। सिंह ने कहा, "असम में बांग्लादेश की वजह से एक अनोखी समस्या है। पहले यह तारीख 1950 थी, फिर इसे बढ़ाकर 1971 कर दिया गया। इस अदालत के समक्ष विस्तार को चुनौती दी गई है। इसे बड़ी पीठ के लिए भेजा गया है।"
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