मैं तुमसे कहता हूं कि गलत को छोड़ने की जल्दी मत करना; तुम ठीक को पकड़ने की जल्दी करना !! शिव सूत्र !! Osho !! !!
गलत को तोड़ने को जल्दी मत करना। बेहतर यह होगा कि गलत को तोड़ने की बजाय, तुम सही को करने की कोशिश करना। नया मंत्र सीखना। तुम सिगरेट पीते हो, कोई हर्जा नहीं; तुम ध्यान सीखना। सिगरेट ध्यान में जरा भी बाधा नहीं है। तुम ध्यान सीखना। तुम ध्यान के मंत्र को सघन करना। जिस दिन ध्यान के मंत्र में तुम सफल हो जाओगे, उस दिन तुम्हें आत्म—गौरव उपलब्ध होगा। उस आत्म—गौरव और ध्यान की सफलता में सिगरेट को छोड़ना आसान हो जायेगा; क्योंकि तुमने एक विधायक मंत्र पूरा कर लिया।
नकारात्मक मत बनना, अन्यथा तुम मुश्किल में पड़ोगे। पश्राताप, पाप, पीड़ा और उदासी पकड़ लेगी। तुम्हारे साधु, जो मंदिरों में बैठे हैं, सब उदास हैं। उनके जीवन में कोई हंसी नहीं है, कोई खुशी नहीं है, कोई प्रसन्नता, कोई उछल्लता नहीं है; क्योंकि उन्होंने नकारात्मक मंत्रों का उपयोग किया है। निगेटिव उनकी खोज है। क्या—क्या गलत है, वह उन्होंने छोड़ा है।
मैं तुमसे कहता हूं कि गलत को छोड़ने की जल्दी मत करना; तुम ठीक को पकड़ने की जल्दी करना। जिस दिन ठीक तुम्हें पकड़ जायेगा, गलत को छोड़ना बहुत आसान हो जायेगा। तुम बीमारी से मत लड़ना; तुम स्वास्थ्य को पाने की कोशिश करना। वही कुए अपने मरीजों को कह रहा है। वह कह रहा है कि ‘मैं स्वस्थ हो रहा हूं, —तुम यही भाव दोहराओ।
उलटा, विपरीत भी तुम कर सकते हो। तुम्हारे सिर में दर्द है, तुम यह कह सकते हो कि नहीं, मुझे सिरदर्द नहीं है। लेकिन जितनी बार तुम यह कहोगे, उतनी ही बार तुम ‘सिरदर्द’ शब्द को भी दोहरा रहे हो। और जितनी बौर तुम कहोगे किए ‘सिरदर्द नहीं है ‘, अगर सिरदर्द है तो तुम्हारे कहने से क्या होगा! भीतर तो तुम जानते हो कि तुम्हारा कहना झूठ है। ऊपर तुम कितना ही कहो कि सिरदर्द नहीं है; लेकिन सिरदर्द हो रहा है। भीतर तो तुम यही कहोगे कि हो रहा है। यह कुए कहता है तो दोहरा रहे हैं; लेकिन सिरदर्द हो रहा है। कुए के कहने से तुम्हारा सिरदर्द नहीं मिटेगा; तुम्हारा सिरदर्द तो तुम्हारी भीतरी प्रक्रिया से ही मिटेगा। न, नकारात्मक शब्द पकड़ना ही मत।
Comments