वारंट और सम्मन में अंतर इन दोनों के मध्य मूल अंतर यह है कि सम्मन किसी भी व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए जारी किया जाता है जबकि वारंट गिरफ्तारी के लिए जारी किए जाते हैं। वह पुलिस अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से निर्दिष्ट होता है। सम्मन उस व्यक्ति को निर्दिष्ट होता है तथा उस व्यक्ति के पते पर ही निर्दिष्ट होता है, जिस व्यक्ति के लिए जारी किया जाता है। जिस व्यक्ति को न्यायालय में उपस्थित किया जाना है सम्मन उस व्यक्ति के पते पर ही जारी होता है, परंतु गिरफ्तारी वारंट उस व्यक्ति के नाम से तो जारी होता है परंतु निर्दिष्ट किसी अन्य को होता है। किसी अन्य को आदेश होता है कि वह उस व्यक्ति को जिसके लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है उसे न्यायालय के समक्ष पेश करे। वारंट के प्रकार दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत वारंट के प्रकार तो नहीं दिए गए हैं परंतु धारा 71 के अंतर्गत न्यायालय को यह अधिकार दिया गया है कि वह स्वविवेकनुसार यह निर्देश दे सकता है कि यदि जिस व्यक्ति के नाम पर वारंट जारी किया गया है, वह व्यक्ति नियत दिनांक को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का वचन दे रहा है तो कोई बंधपत्र न्यायालय को देता है तो ऐसी परिस्थिति में जमानत पर छोड़ा जा सकता है। इस धारा के आधार पर वारंट को दो प्रकार में बांटा जाता है। 1 जमानतीय 2 गैर जमानतीय जमानतीय वारंट जमानतीय वह वारंट है, जिसमें प्रतिभूओ की संख्या या फिर कोई बंधपत्र की एक निश्चित धनराशि के आधार पर जिस व्यक्ति को वारंट निर्दिष्ट हुआ है उसे यह निर्देश होता है कि जिसके विरुद्ध वारंट है उसे छोड़ा जा सकता है और नियत तिथि को न्यायालय में उपस्थित होने का वचन लिया जा सकता है। अर्थात न्यायालय जिस व्यक्ति को वारंट निर्दिष्ट करती है वह व्यक्ति बंधपत्र पर जमानत लेकर नियत तारीख को न्यायालय के समय उपस्थित होने का निर्देश मात्र उस व्यक्ति को दे देता है जिस व्यक्ति को न्यायालय ने वारंट जारी किया है। वारंट में तीन व्यक्तियों का महत्वपूर्ण रोल होता है। पहला- वारंट को जारी करने वाला न्यायालय। दूसरा- जिस व्यक्ति को वारंट निर्दिष्ट किया गया है अर्थात जिस व्यक्ति को यह आदेश दिया गया है कि वह वारंट लेकर जाए। वारंट में जिस व्यक्ति की जानकारी दी गई है उस व्यक्ति को गिरफ्तार करके न्यायालय के समक्ष पेश करे। तीसरा- वह व्यक्ति जिस व्यक्ति के नाम पर वारंट को जारी किया गया है अर्थात वह व्यक्ति जिसे गिरफ्तार करके न्यायालय के समक्ष लाकर पेश करना है।
क्या मर्द और क्या औरत, सभी की उत्सुकता इस बात को लेकर होती है कि पहली बार सेक्स कैसे हुआ और इसकी अनुभूति कैसी रही। ...हालांकि इस मामले में महिलाओं को लेकर उत्सुकता ज्यादा होती है क्योंकि उनके साथ 'कौमार्य' जैसी विशेषता जुड़ी होती है। दक्षिण एशिया के देशों में तो इसे बहुत अहमियत दी जाती है। इस मामले में पश्चिम के देश बहुत उदार हैं। वहां न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाओं के लिए भी कौमार्य अधिक मायने नहीं रखता। महिला ने कहा- मैं चाहती थी कि एक बार यह भी करके देख लिया जाए और जब तक मैंने सेक्स नहीं किया था तब तो सब कुछ ठीक था। पहली बार सेक्स करते समय मैं बस इतना ही सोच सकी- 'हे भगवान, कितनी खुशकिस्मती की बात है कि मुझे फिर कभी ऐसा नहीं करना पड़ेगा।' उनका यह भी कहना था कि इसमें कोई भी तकलीफ नहीं हुई, लेकिन इसमें कुछ अच्छा भी नहीं था। पहली बार कुछ ठीक नहीं लगा, लेकिन वर्जीनिया की एक महिला का कहना था कि उसने अपना कौमार्य एक ट्रैम्पोलाइन पर खोया। ट्रैम्पोलाइन वह मजबूत और सख्त कैनवास होता है, जिसे स्प्रिंग के सहारे कि
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