"एलिसा" कोरोना से लड़ने के लिए कुछ करना चाहती थीं,उन्हें यही सही लगा कि मानवता के लिए खुद अपना योगदान दें।
ब्रिटेन की माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा ग्रैनैटो की है। उन्हें कोरोना वैक्सीन का पहला टीका (ह्यूमन ट्रायल) लगाया गया है। यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार की है। 800 लोगों में से एलिसा का चयन किया गया है। दुनियाभर की नज़र इस पर आ टिकी है। एलिसा कोरोना से लड़ने के लिए कुछ करना चाहती थीं,उन्हें यही सही लगा कि मानवता के लिए खुद अपना योगदान दें।
गुरुवार को जब उन्हें वैक्सीन दिया गया था, उनका 32 वां जन्मदिन भी था। तब से लेकर अभी तक एलिसा 48 घंटे तक मॉनिटरिंग में हैं । टीके का विपरीत प्रभाव भी हो सकता है, कभी कभी जान भी चली जाती है,लेकिन ह्यूमन ट्रॉयल के लिए एलिसा जैसे लोग ही सामने आते हैं।
इस दुनिया को महामारियों से ही नहीं किसी भी चुनौती से सिर्फविज्ञान , वैज्ञानिक और डॉक्टर ही बचा सकते हैं/ बचाते रहे हैं । चेचक प्लेग कालरा पोलियो स्पैनिश फ़्लू स्वाइन फ़्लू आदि आदि किसी के मंत्र फूंकने या गंडा/ताबीज़ बांधने से नहीं समाप्त हुए हैं ।
बाक़ी जो कुछ भी है वह डर दिखाकर या मृत्यु के बाद के जीवन के स्वप्न दिखाकर दिमाग हरण करने की योजनाएँ हैं ।यह बात हम जितनी जल्दी समझ लें अच्छा है। एलिसा तुम सफल हो।
गुरुवार को जब उन्हें वैक्सीन दिया गया था, उनका 32 वां जन्मदिन भी था। तब से लेकर अभी तक एलिसा 48 घंटे तक मॉनिटरिंग में हैं । टीके का विपरीत प्रभाव भी हो सकता है, कभी कभी जान भी चली जाती है,लेकिन ह्यूमन ट्रॉयल के लिए एलिसा जैसे लोग ही सामने आते हैं।
इस दुनिया को महामारियों से ही नहीं किसी भी चुनौती से सिर्फविज्ञान , वैज्ञानिक और डॉक्टर ही बचा सकते हैं/ बचाते रहे हैं । चेचक प्लेग कालरा पोलियो स्पैनिश फ़्लू स्वाइन फ़्लू आदि आदि किसी के मंत्र फूंकने या गंडा/ताबीज़ बांधने से नहीं समाप्त हुए हैं ।
बाक़ी जो कुछ भी है वह डर दिखाकर या मृत्यु के बाद के जीवन के स्वप्न दिखाकर दिमाग हरण करने की योजनाएँ हैं ।यह बात हम जितनी जल्दी समझ लें अच्छा है। एलिसा तुम सफल हो।
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