पीड़िता को पुलिस थाने में "प्रथम सूचना रिपोर्ट" हेतु निवेदन किए जाने पर पुलिस अधिकारी ने मना कर दिया था ! फ़िर क्या हुआ,आगे पूरी रिपोर्ट पढ़े !
जिंदर अली शेख बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 2009 उच्चतम न्यायालय 761 के मुकदमे में बलात्संग की पीड़िता द्वारा पुलिस थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट हेतु निवेदन किए जाने पर पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी ने मामला दर्ज करने से इंकार कर दिया और पीड़िता को परामर्श दिया कि वह अभियुक्त के साथ आपसी तरीके से मामला निपटा लें। इस पर पीड़िता ने धारा 156 (3) के अंतर्गत मजिस्ट्रेट के पास गुहार लगायी और जब मजिस्ट्रेट द्वारा निर्देश दिए जाने पर पीड़िता की एफआईआर रजिस्टर की गयी। इस कारण पीड़िता के प्रकरण में चिकित्सकीय एविडेंस जुटाने में 6 माह का विलंब हुआ। न्यायालय ने अभिकथन किया कि पुलिस लापरवाही के कारण इस प्रकरण में मूल्यवान समय नष्ट हो गए जिसके लिए दोषी पुलिस अधिकारी की जितनी निंदा की जाए वह कम है। प्रथम सूचना रिपोर्ट में देरी होने के कारण उत्पन्न हुए वाद उच्चतम न्यायालय ने रमेशचंद्र नंदलाल पारीक बनाम गुजरात राज्य के बाद में विनिश्चय किया है कि यदि अभियुक्त के विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर कोई आपराधिक कार्यवाही चल रही हो तथा अपराधी द्वारा उसी प्रकार का अपराध पूर्ववर्त किया जाता है जिसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखायी गयी हो तो ऐसी स्थिति में पश्चातवर्ती रिपोर्ट इस आधार पर अभिखण्डित नहीं हो जाती क्योंकि वैसा ही अपराध पूर्व में दायर किया गया है और एफआईआर दर्ज होने के कारण दोबारा रिपोर्ट नहीं लिखी जा सकती।
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