जब कोई दूसरा घूंसा मारे,तो उसके घूंसे को भी पी जाना, तो उसकी शक्ति भी तुम्हें मिल जाती है !! Osho !!

शराबी रोज रात गिरते हैं चोटें नहीं खाते।
जापान में एक कला है, जिसका नाम है, जूडो। या दूसरा नाम है, जुजुत्सू।
इस कला के संबंध में दो-तीन बातें खयाल में ले लें तो बड़ा अच्छा होगा।
जूडो कुश्ती की कला है, लेकिन उसका राज बड़ा उलटा है। जूडो की कला जो सीखता है लड़ने के लिए, उसके नियम हमारी लड़ाई के नियम से बिलकुल उलटे हैं।
अगर मैं आपसे लडूं, तो मैं आप पर चोट करूंगा।आप चोट का बचाव करेंगे। आप मुझ पर चोट करेंगे, मैं चोट का बचाव करूंगा।
यह साधारण लड़ने का नियम है।
जूडो का नियम उलटा है। जूडो का नियम यह है कि मैं आप पर हमला कभी न करूं, जिसने हमला किया वह हार जाएगा; क्योंकि हमले में शक्ति व्यय होती है।
मैं हमले को उकसाऊं, दूसरे को प्रेरित करूं कि वह हमला करे। और मैं बिलकुल एट इ़ज, अपने में रहूं, मैं जरा भी हिलूं-डुलूं भी नहीं। मैं कुछ करूं ही नहीं, मैं सिर्फ दूसरे को उकसाऊं कि वह हमला करे। मैं उसे क्रोधित करूं, मैं उसे भड़काऊं, मैं उसे जलाऊं और मैं शांत रहूं। और जब वह हमला करे तो मैं रेसिस्ट न करूं। जब वह मेरे ऊपर चोट करे, घूंसा मारे, तो मैं उसके घूंसे के विरोध में अपने शरीर को अकड़ाऊं न। शरीर को ढीला और रिलैक्स छोड़ दूं कि उसको घूंसा मेरा शरीर पी जाए।
कभी आपको खयाल है कि एक शराबी के साथ बैठ जाएं एक बैलगाड़ी में और बैलगाड़ी उलट जाए रास्ते में, तो आपको चोट लगेगी, शराबी को नहीं लगेगी। कभी सोचा कि राज क्या है?
शराबी ज्यादा ताकतवर है, इसलिए चोट नहीं लगी?
आप कमजोर हैं, इसलिए चोट लग गई ? नहीं, जब गाड़ी उलटी तो आप होश में हैं, गाड़ी के उलटते ही आपको लगा कि अब चोट लगेगी, अब मैं बचूं। और आप सख्त हो गए, स्ट्रेंड हो गए; आपकी सब नसें, आपकी हड्डियां, सब मजबूती से जमीन के खिलाफ खड़ी हो गईं बचाव के लिए। आप कड़े हो गए।
शराबी को पता ही नहीं है कि गाड़ी उलट गई। या गाड़ी पहले से ही उलटी हुई थी उनके लिए, उसमें कोई खास फर्क नहीं है।
वह गिर गए, वह गिरने के साथ कोआपरेट किए। उन्होंने गिरने के साथ सहयोग किया। वह जमीन के खिलाफ अकड़े नहीं, जमीन के साथ एक हो गए। तो शराबी जब गिरता है तो वह बोरे की तरह गिरता है, बस गिर जाता है। इसलिए शराबी रोज रात गिरते हैं, चोटें नहीं खाते। आप उतने गिरें तो पता चल जाए। बच्चे रोज गिरते हैं, हड्डियां नहीं टूटती हैं। आप उतने गिरें तो एक ही दिन में सब नष्ट हो जाए। क्या बात है ? बच्चे की ताकत ज्यादा है कि बच्चा गिरता है, हड्डी नहीं टूटती ?
नहीं,बच्चा गिरने के साथ भी एक हो जाता है। विरोध नहीं करता गिरने का। गिरने में भी साथ देता है। गिरते वक्त भी राजी होता है। एक्सेप्टिबिलिटी है गिरते वक्त। तो जूडो की कला कहती है कि जब तुम्हें कोई मारे, तब तुम राजी हो जाओ पिटने को, और जरा भी कहीं भीतर से विरोध न करना।
बड़ी कठिन कला है। राजी हो जाना,पी जाना उसके घूंसे को।
तो एक तो खुद हमला मत करना, क्योंकि हमले में शक्ति व्यय होती है। और जब कोई दूसरा घूंसा मारे,तो उसके घूंसे को भी पी जाना, तो उसकी शक्ति भी तुम्हें मिल जाती है।
और इसलिए जूडो में बड़ा पहलवान हार सकता है और कमजोर आदमी जीत सकता है। जीत जाता है।
!! ओशो !!

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