- वारंट केस
- सम्मन केस
- समरी केस
वारंट केस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (x) के तहत इस प्रकार परिभाषित किया गया है की यह केस मृत्यु के साथ दंडनीय अपराध, या आजीवन कारावास या यह 2 साल से अधिक के कारावास से संबंधित है.
समन केस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डब्ल्यू) के तहत इस प्रकार परिभाषित किया गया है की यह केस अपराध से सम्बंधित है और यह वारंट केस के दायरे में नहीं आता है.
समरी केस को आपराधिक प्रक्रिया संहिता के अध्याय XXI के तहत निपटाया जाता है.
यह भी कहा जा सकता है की किसी भी अपराधी या अभियुक्त को अदालत द्वारा पहले “समन” भेजा जाता है कि उसे किसी निश्चित तारीख या समय पर अदालत के समक्ष उपस्थित होना है लेकिन यदि वह व्यक्ति कोर्ट के आदेश को अनसुना कर देता है तो फिर उसके खिलाफ “वारंट” जारी किया जाता है जिसके पालन की जिम्मेदारी किसी पुलिस अफसर को दी जाती है और पुलिस अभियुक्त को पकड़ने के लिए उसके घर, दुकान और ऑफिस इत्यादि पर छापे डालती है और यदि जरूरी हुआ तो कुर्की या संपत्ति जब्त जैसे कार्य भी पुलिस द्वारा किये जाते हैं.
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