- वारंट केस आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत एफआईआरआर के पंजीकरण के साथ शुरू होता है.यह वह महत्वपूर्ण सूचनात्मक दस्तावेज होता है जिसके आधार पर पुलिस कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाती है.
- एफ.आई.आर के बाद अगला कदम जांच अधिकारी द्वारा मामले की जांच है जो मामले के तथ्यों की जांच करता है और सबूत इकट्ठा करता है और मजिस्ट्रेट के सामने यह फाइल रखता है जिसमे अपराध दर्ज होता है.
- अभियुक्त के पास अदालत के समक्ष अपनी जमानत के लिए अपील करने का विकल्प होता है .
- जांच अधिकारी द्वारा पुलिस रिपोर्ट जमा करने के बाद अदालत द्वारा एक फ्रेम तैयार किया जाता है .वारंट मामले के लिए लिखित रूप में आरोपों को फ्रेम करना अनिवार्य है.
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता धारा 241 के तहत आरोपी को आरोप लगाए गए अपराधों को कुबूलने का मौका दिया जाता है.
- यदि आरोपी गुनाह नहीं कबूलता है तो मुख्य परीक्षा में अभियोजन पक्ष को न्यायालय के समक्ष अपने गवाहों के पक्ष में सबूत पेश करना पड़ता है जो विभिन्न गवाहों के बयान द्वारा समर्थित होते हैं.
- गवाहों की बयानों की पुष्टि बार-बार की जाती है.
- इसके बाद अभियुक्त को सुनवाई और उसके केस से उसे बचाने का मौका दिया जाता है.
- दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद अदालत इस मामले पर फैसला देती है की आरोपी को दोषी ठहराए या नहीं.
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