यदि अपराध के संबंध में आप पर पुलिस को शक हो,तो यह सम्भावित है कि वह आपसे सवाल जवाब या अन्वेषण करेगें। संज्ञेय अपराध के मामले में पुलिस को शीघ्र कार्यरत होना एवम् जांच तुरन्त शुरू करना आवश्यक है। उन्हे ऐसे अपराध की जानकारी बाबत सूचना मिलने के बाद अनुसंधान शुरू करने हेतु मेजिस्ट्रेट की आज्ञा की आवश्यकता नहीं होती है।
सबसे पहले कदमों में से एक कदम जो पुलिस अनुसंधान प्रक्रिया मे उठाती है वह है घटनास्थल पर उपस्थित हो उसका मुआयना करना। मौके से वह तथ्य संबंधी जानकारी एवम् साक्ष्य इकट्ठा करने का प्रयास करती है एवम् यह जानने का प्रयास करती है कि अपराध किन परिस्थितियों मे घटा है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत वह संदिग्ध व्यक्तियो से बिना गिरफ्तार किये भी पूछताछ कर सकती है अथवा उन्हे गिरफ्तार भी कर सकती है।
इससे तुरन्त पहले उन्हे मेजिस्ट्रेट को प्र.सु.रि. की एक प्रति भेजनी होती है। जब मेजिस्ट्रेट यह रिपोर्ट प्राप्त करे तो वह औपचारिक रूप से पुलिस को अनुसंधान करने का निर्देश दे सकती है। वह अपने से अधिनस्थ को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान करने से पूर्व एक बुनियादी जांच करने का आदेश भी दे सकती है।
सबसे पहले कदमों में से एक कदम जो पुलिस अनुसंधान प्रक्रिया मे उठाती है वह है घटनास्थल पर उपस्थित हो उसका मुआयना करना। मौके से वह तथ्य संबंधी जानकारी एवम् साक्ष्य इकट्ठा करने का प्रयास करती है एवम् यह जानने का प्रयास करती है कि अपराध किन परिस्थितियों मे घटा है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत वह संदिग्ध व्यक्तियो से बिना गिरफ्तार किये भी पूछताछ कर सकती है अथवा उन्हे गिरफ्तार भी कर सकती है।
इससे तुरन्त पहले उन्हे मेजिस्ट्रेट को प्र.सु.रि. की एक प्रति भेजनी होती है। जब मेजिस्ट्रेट यह रिपोर्ट प्राप्त करे तो वह औपचारिक रूप से पुलिस को अनुसंधान करने का निर्देश दे सकती है। वह अपने से अधिनस्थ को औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान करने से पूर्व एक बुनियादी जांच करने का आदेश भी दे सकती है।
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