इसलिए जज नहीं बन सका,क्योंकि उसके ऊपर वाइफ़ के साथ अत्याचार करने का केस दर्ज था !!

सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में क्या कहा !!
अपील करने वाले को अयोग्य करार देने का जो फैसला एग्जामिनेशन-कम-सेलेक्शन और अपॉइन्टमेंट कमिटी ने किया है, वो सही है. क्योंकि अपील करने वाले के खिलाफ उनकी पत्नी ने IPC की धारा 498A/406/34 के तहत जो आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया था,वो लंबित था.
हालांकि वकील को ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में बरी कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट का फैसला काम नहीं आया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि सेलेक्शन के वक्त और नियुक्ति के पहले, चयनित उम्मीदवार के खिलाफ मामला लंबित था. घड़ी को पीछे नहीं किया जा सकता.

जस्टिस भूषण ने कहा-

“कमिटी का ये फैसला कमिटी के अधिकार-क्षेत्र और शक्ति के भीतर था. इसे अव्यवहार्य नहीं कहा जा सकता. फैक्ट केवल ये है कि बाद में, एक साल से ज्यादा समय बीतने के बाद, जिस व्यक्ति की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई हो, उसे बरी कर दिया जाए, तब भी वो घड़ी को पीछे की ओर मोड़ने का आधार नहीं बन सकता. फैक्ट ये है कि बाद में आपराधिक मामले में वकील को बरी कर दिया गया था, लेकिन तब भी ये बात आवेदनकर्ता की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं देती.”


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