ओशो ने गुरु पूर्णिमा का बहुत ही अच्छा महत्व बताया है.उन्होंने बताया है गुरु शब्द दो अक्षरों से बना है 'गु' और 'रु'. जी हाँ, उन्होंने बताया ये दोनों अक्षर संस्कृत से लिए गये हैं जिसमें 'गु' का अर्थ होता है 'अंधकार' और 'रु' का अर्थ होता है जो आपके जीवन से उस अंधकार को मिटाता है उसे गुरु कहा गया है. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि 'गुरु है ।पूर्णिमा का चांद.' वाकई उन्होंने गुरु के मायने हमारे लिए भी बदले हैं।
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