धारा 104 उन परिस्थितियों का वर्णन करती है जब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार में मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित की जा सकती है !!


धारा 104
 उन परिस्थितियों का वर्णन करती है जब संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार में मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि कारित की जा सकती है . धारा 104 के अनुसार वह अपराध , जिसके किये जाने या किये जाने के प्रयत्न से प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है . चोरी , रिश्ठी , आपराधिक अतिचार धारा 103 में वर्णित भांति का न हो तो धारा 99 के निर्बंधनो के अधीन रहते हुए मृत्यु से भिन्न कोई अपहानि दोषकर्ता द्वारा कारित की जा सकती है 

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